मां से बच्चे को एचआईवी अब नहीं

अब आशंका बहुत कम, डेढ़ महीने में करवाना होगा टेस्ट

 ऊना— एचआईवी की बीमारी से ग्रसित महिला को अब अपने बच्चे को यह बीमारी होने की चिंता करने की जरूरत नहीं है। एचआईवी की बीमारी से ग्रसित गर्भवती महिला के बच्चे में अब एचआईवी की बीमारी होने की नाममात्र आशंका रह गई है, लेकिन इसके लिए बच्चे का डेढ़ माह में होने वाला टेस्ट समय पर ही करवाना पड़ेगा, ताकि स्वास्थ्य विभाग टेस्ट कर सही जानकारी हासिल कर सके। पहले जहां मां के बच्चे में इस बीमारी के होने की संभावनाएं बहुत ज्यादा रहती थी। वहीं, अब यह ग्राफ कम होकर नाममात्र ही रह गया है। जानकारी के अनुसार एचआईवी से ग्रसित गर्भवती महिला से उसके बच्चे को एचआईवी की बीमारी होने की संभावना पहले 35 से 45 फीसदी तक थी। अब यह संभावना केवल एक या दो फीसदी बची है। राष्ट्रीय स्तर पर हुए एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है।  इसकी पुष्टि क्षय रोग अधिकारी ऊना डा. प्रदीप चौधरी ने की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में गर्भवती महिला से बच्चे में एचआईवी की बीमारी होने की संभावनाएं कम रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो बदलते समय के साथ स्वास्थ्य विभाग भी इस बीमारी को नियंत्रित करने में सफल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के प्रयास भी साकारात्मक रहे हैं। क्षय रोग अधिकारी डा. प्रवीण चौधरी का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर हुए अध्ययन के मुताबिक गर्भवती महिला से उसके बच्चे में एचआईवी होने की संभावना अब केवल एक या दो फीसदी है, लेकिन पहले यह रेशो 35 से 45 प्रतिशत रहती थी, लेकिन इसके लिए समय पर टेस्ट और दवाई का सेवन करना अनिवार्य है।

डेढ़ महीने में पता चलेगी बीमारी

एचआईवी की बीमारी से ग्रसित गर्भवती महिलाओं के बच्चों में एचआईवी से ग्रसित होने के बारे में डेढ़ माह में ही पता चल पाएगा, जबकि पहले गर्भवती महिला के बच्चे में यह बीमारी होने का पता करीब डेढ़ साल में चलता था। यदि बच्चे में एचआईवी की बीमारी होने का पता चलता है, तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से उसे उसी समय निर्धारित दवाई शुरू कर दी जाती है, ताकि इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सके।