लोक संस्कृति के उत्थान में

जुटे हैं अमरनाथ

कुल गजलें : 22

कुल पुरस्कार : 04

मुख्य पुस्तकें : जिंदगी का सफर (हिंदी गजल संग्रह), प्रेरणा

जन्म : 8 नवंबर 1964

जन्म स्थान : मैहरी-काथला

शिक्षा : एमए, बीएड

माता :      रूपां देवी

पिता :   शेर सिंह धीमान

गजलें सुकून ही नहीं देती, बल्कि जीवन में काफी कुछ सिखा भी देती हैं। यह कहना है अमरनाथ धीमान का, जो बतौर लेखक, गायक व कवि लोक संस्कृति के उत्थान को प्रयासरत हैं। वह इससे सुखद अनुभव भी प्राप्त करते हैं। उनका कहना है कि पाश्चात्य संस्कृति देश व प्रदेश की संस्कृति पर दिन-प्रतिदिन हावी होती जा रही है। इसलिए वह लोक संस्कृति के उत्थान के लिए कई मंचों पर कार्यक्रम करके गजलों के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं। शिक्षा के साथ साहित्य के क्षेत्र में आने की प्रेरणा धीमान को उनके फूफा तथा वानिकी एवं बागबानी विश्वविद्यालय नौणी के पूर्व उपकुलपति डा. केआर धीमान से मिली। इसके बाद अमरनाथ धीमान शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ बतौर लेखक व गायक भी सृजन में जुटे रहे। सुबह चार बजे दिनचर्या की शुरुआत करने वाले अमरनाथ धीमान दूसरे कार्यों के साथ लेखन व गायकी को कभी नहीं भूलते। इनके माध्यम से वह संस्कृति के उत्थान को निरंतर प्रयासरत हैं। घुमारवीं में गुरु जी के नाम से मशहूर अमरनाथ धीमान शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि गजलों, साहित्य व लोक गीतों से संस्कृति की पहचान करवाने वाले नामों में शुमार हैं। शिक्षा विभाग में 33 वर्ष आठ महीने सेवाएं देने के बाद अमरनाथ धीमान ने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति 31 अगस्त 2017 को ली। शिक्षा विभाग में भी बतौर शिक्षक तैनात रहते हुए अमरनाथ धीमान ने पहाड़ी गानों सहित गजलें व लेख लिखे। इनमें ‘यहां कोई भी सच्ची बात अब मानी नहीं जाती, मेरी आवाज इस बस्ती में पहचानी नहीं जाती’ जैसी गजल भी शामिल है। शिक्षा के क्षेत्र में अमरनाथ धीमान हिमाचल प्रदेश पदोन्नत स्कूल प्राध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रहने के अलावा विभिन्न संगठनों का नेतृत्व करते रहे। उन्होंने राजकीय माध्यमिक पाठशाला मैहरी-काथला से आठवीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद राजकीय उच्च पाठशाला कुठेड़ा में नौवीं व दसवीं तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला हटवाड़ से जमा दो तक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने जेबीटी की टे्रनिंग राजकीय बुनियादी प्रशिक्षा केंद्र नाहन से वर्ष 1981-83 में प्राप्त की। हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग में जेबीटी के रूप में दो जनवरी 1984 को राजकीय प्राथमिक पाठशाला बल्ह चलोग, खंड गेहड़वीं में प्रथम नियुक्ति हुई। वह 1996 में बतौर टीजीटी तथा 2002 में बतौर लेक्चरर पदोन्नत हुए। 31 अगस्त 2017 को धीमान ने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ली। लेकिन, शिक्षा विभाग में बतौर शिक्षक पूर्ण दायित्व निभाने के साथ बतौर लेखक व गायक भी सृजन में जुटे रहे। वह दिव्यांगों के उत्थान, कैंसर पीडि़तों की मदद, स्वच्छता अभियान, समाज में सकारात्मक सोच पैदा करना, समाज में पिछड़े वर्ग के उत्थान, महिला सशक्तिकरण व रक्तदान, फ्री मेडिकल कैंप, सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करने के अलावा वर्तमान पीढ़ी को संस्कारवान बनाने जैसे सामाजिक कार्यों में भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इन्हें वर्ष 2016 में बेस्ट टीचर अवार्ड मिला। गायत्री आध्यात्मिक पुरस्कार भी इन्हें मिल चुका है। इनके अलावा कैंसर पीडि़तों की मदद तथा रक्तदान में योगदान के लिए भी स्वंयसेवी संस्थाएं इन्हें सम्मानित कर चुकी हैं।