विकास चाहिए, तो कुछ सहना होगा

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के फैसले इन दिनों पूरे प्रदेश में चर्चा का केंद्र बिंदु हैं। इन फैसलों का हम पर त्वरित और दूरगामी क्या असर है। प्रबुद्ध जनता इन फैसलों पर क्या सोचती है। इन्हीं सवालोें के जवाब जानने के लिए प्रदेश के अग्रणी मीडिया गु्रप ‘दिव्य हिमाचल’ ने लोगों की राय जानी। किसने क्या कहा,  बता रहे है

जुर्माना लगाना न्यायसंगत नहीं

अंबोटा के राजेंद्र सिंह ने कहा है कि पेड़ कटान नहीं होना चाहिए। लेकिन यदि कोई व्यक्ति मजबूरीवश पेड़ कटान कर भी लेता है तो इतना जुर्माना लगाना न्यायसंगत नहीं है। पेड़ कटान के हिसाब से ही जुर्माना लगाया जाना चाहिए। जुर्माना भी उतना हो कि वह व्यक्ति जुर्माना राशि अदा कर सके। इसके चलते इस ओर विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है।

संपत्ति को नुकसान

 दियोली के जसवीर ने कहा है कि पर्यावरण संरक्षण में सभी लोगों को भागीदारी निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एनजीटी का निर्णय सही है। इस निर्णय को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। लेकिन पेड़ भी मानव संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके नुकसान की भरपाई करने का भी प्रावधान होना चाहिए।

पेड़ कटान बंद होना चाहिए

घनारी से विक्की ने कहा है कि पेड़ कटान बंद होना चाहिए। पर्यावरण को बचाने के लिए सभी को अपना योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनजीटी का निर्णय सही है। लेकिन जुर्माना राशि कुछ कम कर देनी चाहिए, ताकि आम जनता से यदि कोताही हो भी जाए तो जुर्माना राशि भी अदा कर सके।

जुर्माने का प्रावधान कम हो

नंगल जरियाला के कमल ने कहा है कि एनजीटी का निर्णय सही है। लेकिन निर्णय के चलते आम जनता को समस्या झेलनी पड़ सकती है। जुर्माने का प्रावधान कम होना चाहिए। पेड़ कटान पर पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। तो पेड़ों से होने वाले नुकसान की भरपाई के बारे में भी उचित प्रावधान किया जाना चाहिए था।