संसद में हल्ले के आसार

(राजेश कुमार चौहान, जालंधर)

इस बार के भी संसद के शीतकालीन सत्र पर हंगामे और हो-हल्ले के बादल छा सकते हैं। संसद ऐसा गरिमापूर्ण स्थान है, जहां से देश की आम जनता को सांसदों से कल्याणकारी फैसलों की उम्मीद होती है। अफसोस यह कि देश की संसद में देशहित के लिए फैसले कम और हो -हल्ला ज्यादा होता है। इस कारण संसद के सत्रों से आमजन की उम्मीदों पर पानी फिरता आया है। पता नहीं विश्व के सबसे बडे़ लोकतंत्र में वह सुबह कब आएगी, जब सभी राजनीतिक पार्टियों के सांसद संसद में बैठकर देशहित के लिए मिलजुकर फैसले लेंगे।