साइंस से संन्यास तक जीडी अग्रवाल

जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का जन्म 20 जुलाई, 1932 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिला के कंधला गांव में हुआ । वह भारत के पर्यावरण इंजीनियरिंग के अगुआ माने जाते हैं। वह सन् 2009 में भागीरथी नदी पर बांध बनाने के विरोध में अनशन पर बैठने के लिए काफी चर्चित हुए। जीडी अग्रवाल की प्रारंभिक और सेकेंडरी शिक्षा स्थानीय स्कूल में ही हुई। उसके बाद उन्होंने आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। आईआईटी रुड़की की स्थापना वर्ष 1847 में हुई। सन् 1979-80 में जब वह सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सचिव सदस्य रहे, उन्हीं दिनों वह रुड़की यूनिवर्सिटी में पर्यावरण इंजीनियरिंग के विजिटिंग प्रोफेसर भी थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग में डिजाइन इंजीनियर के तौर पर की। बाद में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से पर्यावरण इंजीनियरिंग में पीएचडी की उपाधि हासिल की। काफी समय तक उन्होंने मध्य प्रदेश के महात्मा गांधी ग्रामोद्योग विश्वविद्यालय चित्रकूट में पर्यावरण विज्ञान विषय में अध्यापन का कार्य भी किया।

गांधी स्टाइल जीवन

जीडी अग्रवाल मध्यप्रदेश के चित्रकूट में अपनी दो कमरों की कॉटेज में गांधी शैली में रहते हैं। वह अपना कमरे की साफ- सफाई स्वयं करते हैं और अपने कपड़े भी खुद ही धोते हैं तथा अपना खाना भी अपने आप ही बनाते हैं। वह खादी वस्त्र धारण करते हैं। 79 वर्ष की आयु में उन्होंने संन्यास धारण किया। अब आध्यात्मिक जीवन जीते हुए भारतीय शास्त्रों का अध्ययन करते हैं…

बनारस में ली संन्यास दीक्षा

प्रो. अग्रवाल के अनुसार अध्यात्म में इतनी ऊर्जा होती है कि कोई भी व्यक्ति इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। संत समाज ने हमेशा ही मानवता के कल्याण के लिए संघर्ष किया और उसके अच्छे परिणाम भी निकले। उन्होंने बनारस में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के सान्निध्य में संन्यास दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा लेने के बाद वह प्रोफेसर जीडी अग्रवाल से स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद बन गए। स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के रूप में गंगा मुक्ति के लिए प्रयासरत हैं।