सुजानपुर में गुरु पर भारी पड़ गया चेला

राजेंद्र राणा ने अंत तक रोके रखीं धूमल की सांसें, हलके से कांग्रेस को बड़ी जीत

हमीरपुर – भाजपा की आंधी को कांग्रेस ने धूमल के गढ़ में रोक दिया। भगवा दुर्ग वाली हमीरपुर की सरजमीं पर पहली बार भाजपा की सबसे बुरी हार हुई है। भाजपा सीएम के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल अपनी सुजानपुर सीट को भी नहीं बचा पाए। इसका असर नादौन तथा बड़सर में भी देखने को मिला। इन दोनों सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। जिला की कुल पांच सीटों में से हमीरपुर सदर तथा भोरंज सीट पर ही भाजपा अपनी लाज बचा सकी है। विधानसभा चुनावों में भाजपा की प्रदेश में एक तरफ जीत के बावजूद हमीरपुर की हार के कई कारण बताए जा रहे हैं। केंद्रीय हाइकमान ने सुजानपुर की सीट को जीतने के लिए प्रेम कुमार धूमल पर दांव खेला था। इसी सीट को जीतने की जिद के चलते भाजपा को जिला की तीन सीटें खोनी पड़ी हैं।  नामांकन प्रक्रिया के बीच केंद्रीय हाइकमान ने प्रेम कुमार धूमल को सुजानपुर से चुनाव लड़ने का फतबा जारी किया था। इसके बाद प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर के लिए सिर्फ दो दिन का समय ही दे पाए। हाइकमान के इस फैसले से हमीरपुर सदर के कार्यकर्ता गुस्से में थे। इस सीट को छोड़ते वक्त प्रेम कुमार धूमल भावुक हो गए थे। इस प्रकरण को चुनावों में कांग्रेस ने भुनाकर कहा कि धूमल मन से सुजानपुर नहीं आना चाहते हैं। इसी कारण उनकी आंखों से आंसू निकल गए हैं। धूमल की सुजानपुर में हार की यह दो वजह मानी जा रही हैं। इसके अलावा राजेंद्र राणा का ग्राउंड वर्क भी भाजपा की हार का बड़ा कारण आंका गया है। इसी कारण केंद्रीय हाइकमान ने धूमल को सुजानपुर से उतारकर इस सीट को जीतने की रणनीति बनाई थी। भाजपा के लिए यह दांव उलटा पड़ गया। प्रेम कुमार धूमल के प्रभाव से भोरंज में कमलेश कुमारी चुनाव जीत गईर्ं और हमीरपुर सदर की सीट का ताज भी धूमल ने नरेंद्र ठाकुर को पहना दिया। बावजूद इसके वह खुद चुनाव हार गए और बड़सर में बलदेव की सीट भी नहीं बचा सके।

भोरंज में आठवीं दफा जीत

पिछले पांच वर्षों में हमीरपुर सदर सीट के एक-एक परिवार और वोटर के नजदीक रहे धूमल की मेहनत का फल नरेंद्र ठाकुर को मिला है। इसी तरह भोरंज विधानसभा क्षेत्र की परंपरागत सीट पर भाजपा ने लगातार आठवीं जीत दर्ज कर परचम लहराया है।