होली में सड़कें कम, वाहन ज्यादा

भरमौर – जल विद्युत परियोजना के निर्माण के चलते ट्रैफिक के बोझ तले दब कह रह चुके होली गांव के लिए पार्किंग सुविधा मुहैया करवाना ही प्रशासन भूल गया है। जिसके चलते स्थानीय बस अड्डे के दुकानदारों का कारोबार भी चौपट होने के कगार पर पहुंच गया है। वाहनों को खड़ा करने के लिए कोई सिस्टम न होने के चलते अक्सर यहां सड़क किनारे वाहन खड़े कर दिए जाते है। नतीजतन दुकानों के भीतर तक जाने का रास्ता भी बंद हो जाता है। हांलाकि पूर्व में प्रशासन की ओर से यहां पर पार्किंग निर्माण को लेकर जगह का भी चयन कर लिया। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी का तबादला होने के बाद होली में पार्किंग बनाने की प्रक्रिया भी पूरी तरह से ठप पड़ गई।  उपमंडल में बतौर एसडीएम रहे डा. जितेंद्र कंवर ने होली बस अड्डे के साथ सरकारी भूमि पर पार्किंग निर्माण के लिए जगह का चयन किया था। व्यापार मंडल और टेक्सी यूनियन के पदाधिकारियों का सुझाव लेने के बाद बस अड्डे की निचले तरफ  की भूमि को पार्किंग के लिए चुना गया था। जिसके बाद डा. कंवर का तबादला होने के चलते यह मामला पूरी तरह से ठंडे बस्ते में पड़ गया। हैरानी की बात है कि प्रशासन की ओर से होली बस अड्डे पर वाहनों को खड़ा करने के लिए मात्र पांच वाहनों को ही अनुमति प्रदान की है, जबकि बस स्टेंड के निचली तरफ भी वाहनों को खड़ा करने के लिए सड़क किनारे जगह बनाई गई। बावजूद इसके यहां पर वाहनों की अधिक संख्या होने के चलते प्रशासन के यह प्रबंध भी फेल हो गए है, वहीं आमजनों को भी यहां पर परेशानी उठानी पड़ रही है। लेकिन प्रशासन की ओर से इस मामले पर एक मर्तबा भूमि चयन करने के बाद आगे की प्रक्रिया को अंजाम तक ही नहीं पहुंचाया जा सका है। जिसका खामियाजा यहां पर लोगों को भुगतना पड़ रहा है। वहीं प्रशासन के इस रवैए को लेकर लोगों में भी भारी रोष व्याप्त है।