64 सैनिकों की याद में बसाया गया चौंटा

1688 ई. में बिलासपुर के राजा भीम चंद और मंडी के राजा सिद्धसेन द्वारा बीजापुर को जलाए जाने के प्रतिकार के रूप में कटोच राजा उदय चंद द्वारा मंडी के 64 सैनिकों के सिर कलम करके उनका अंतिम संस्कार किया गया था। मंडी नगर में चौंटा राजा सिद्धसेन द्वारा इन 64 सैनिकों की याद में बसाया गया था…

जयसिंहपुर

जयसिंहपुर ‘हरोटी’ और ‘पपलोर’ नदियों के तट पर स्थित है। यहां बहुत अधिक संख्या में मंदिर हैं। इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण हैं जैसे लक्ष्मी नारायण, शीतला माता, जानकी नाथ और एक प्राचीन मंदिर नील कंठ महादेव, मस्त अली शाह और बाबा मनी राम की कब्रें भी यहां स्थित हैं। शीतला माता मंदिर के निकट गुग्गा छतरी मंदिर के अवशेष पाए जाते हैं। ‘मुंडियां दा टियाला’ स्थान जो चौंटा के नाम से भी जाना जाता है, भी निकट ही स्थित है, जहां 1688 ई. में बिलासपुर के राजा भीम चंद और मंडी के राजा सिद्धसेन द्वारा बीजापुर को जलाए जाने के प्रतिकार के रूप में कटोच राजा उदय चंद द्वारा मंडी के 64 सैनिकों के सिर कलम करके उनका अंतिम संस्कार किया गया था। मंडी नगर में चौंटा राजा सिद्धसेन द्वारा इन 64 सैनिकों की याद में बताया गया था।

जैतक

सिरमौर जिला में जैतक का किला जो अब भगन अवस्था में है, एक ऐतिहासिक स्थान है। 1814 ई. में युद्ध के दौरान गोरखों ने किले की रखवाली करने के लिए 2200 आदमियों के साथ यहां पोजीशन ली थी। यह किला गोरखा नेता रणजोर सिंह थापा  द्वारा बनाया गया था। यह किला अंग्रजों द्वारा गोरखों से शृंखलाबद्ध थका देने वाली सैनिक चालों  और लड़ाइयों के बाद कब्जे में लिया गया ।

जालमा

यह स्थान लाहुल- स्पीति की पत्तन घाटी में चंद्र भागा नदी के साथ है। एक पौराणिक कथा के अनुसार लाहुल और कुल्लू के सारे देवता यहां निवास करते थे। यह गांव भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं के पुराने और क्रमबद्ध चित्रों के लिए प्रसिद्ध है, जो यहां सुरक्षित हैं। ये चित्र ‘मध्य एशियन शैली’ का प्रतिनिधत्व करते हैं।

जतोग

यह शिमला के पश्चिमी सिरे से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यह पहाड़ी ब्रिटिश सरकार द्वारा 1843 ई. में अधिगृहीत की गई थी। यह पहले गोरखा रेजिमेंट ने अधिकार में ली। इस स्थान पर ब्रिटिश पर्वतीय तोपखाने की दो बैटरियां और ब्रिटिश इन्फेंटरी की दो कंपनियां स्थायी रूप से किसी भी विद्रोह को दबाने के लिए तैनात रहती थीं।

जिस्पा

जिस्पा लाहुल घाटी में भागा नदी के तट पर स्थित है। यहां एक बड़ा शिविर मैदान है। नदी में काफी मात्रा में ट्राउट मछली पाई जाती है। —क्रमशः