ईमान की कमाई से हज

नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर

अदालत के आदेश के मुताबिक केंद्र सरकार ने हज यात्रा पर मिलने वाली रियायत को खत्म करके ऐतिहासिक कदम उठाया है। वैसे खुद मुस्लिम धार्मिक संस्थाएं भी इस पवित्र यात्रा को अपनी ईमान की कमाई से ही करने में यकीन रखती हैं। लिहाजा मुस्लिम धर्मावलंबियों ने इस फैसले पर खुशी ही जाहिर की है। यह भी सच है कि सबसिडी का असल फायदा गरीबों के बजाय बिचौलिए ही उठा रहे थे। दरअसल सबसिडी की यह 700 करोड़ रुपए की रकम अल्पसंख्यक समुदाय की आधी आबादी के शैक्षणिक, सामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण के लिए खर्च होगी। यकीनन सरकार के इस फैसले से मुस्लिम वर्ग की गरीब तबके की मातृशक्ति को संबल मिलेगा। पक्ष-विपक्ष भी इस फैसले को सियासत का अखाड़ा बनाकर वोट बटोरने का जरिया न बनाए। उम्मीद है कि इस बचे धन का इस्तेमाल अल्पसंख्यक तबके की बालिकाओं की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।