ईश्वर तुल्य रिश्ते का कत्ल

विजय कुमार, केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला

आज के युग में एक बेटा ऐसा भी है, जिसने अपनी ही मां को चौथी मंजिल से फेंक कर मार दिया। इस घटना से यह सवाल उठता है कि मनुष्य आखिर क्यों ऐसा होता जा रहा है, जहां उसे रिश्तों की मर्यादाओं का भी एहसास नहीं और रिश्तों की कडि़यों को भी वह धीरे-धीरे तोड़ता जा रहा है। यह प्रवृत्ति मानवीय भविष्य को एक नई और स्वार्थी दिशा की ओर ले जा रही है। इसलिए मेरी प्रार्थना है कि जिस तरह मां और बाप ने हमसे बिना शर्त का प्यार किया, हमें भी उनसे वैसा ही प्यार करना चाहिए।