ओम प्रकाश रावत लोकतंत्र के नए प्रहरी

कानून मंत्रालय ने ओम प्रकाश रावत को मुख्य चुनाव आयुक्त बना दिया है। रावत ने 23 जनवरी को वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोति की जगह ली है। इसके साथ ही पूर्व वित्त सचिव अशोक लवासा को चुनाव आयुक्त बनाया गया है। ओम प्रकाश रावत मध्य प्रदेश काडर के आईएएस अफसर हैं। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले रावत को चुनाव आयुक्त बनाया गया था। चुनाव आयुक्त बनने से पहले वह केंद्र में सचिव थे।

दो दिसंबर, 1953 को उत्तर प्रदेश में जन्मे रावत 1977 बैच के आईएएस अफसर हैं। रावत ने रक्षा मंत्रालय के साथ भी काम किया है। 2004 से 2006 तक रावत मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के प्रधान सचिव रहे थे। रावत ने ब्रिटेन से 1989 में एमएससी की पढ़ाई की थी।  रावत बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी से भौतिक विज्ञान में बीएससी और एमएससी हैं। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी की स्थापना 1916 में हुई। इसके अलावा उन्होंने सोशल डिवेलपमेंट प्लानिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर रखी है। यह डिग्री उन्होंने 1989 में यूके से हासिल की थी।

ओपी रावत 2013 में रिटायर हो गए थे। उसके बाद उन्हें सरकार ने अगस्त 2015 में चुनाव आयोग में आयुक्त पद पर नियुक्त किया था। रावत को मई 1994 में संयुक्त राष्ट्र के चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भी नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपनी पहल ‘वन अधिकारों की मान्यता’ के लिए सार्वजनिक प्रशासन में बेहतरीन सेवा के लिए 2010 में प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में ओम प्रकाश राबत के सामने कई चुनौतियां होंगी। इनमें सबसे बड़ी चुनौती तो 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव ही हैं। लोकसभा चुनावों के अलावा लगभग आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। हाल ही में कई दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं। उस चुनौती से भी रावत को जूझना होगा।

देश एक स्वच्छ और स्वस्थ लोकतंत्र देने के लिए चुनाव आयोग को कड़ी मेहनत करनी होगी, जिसकी बागडोर अब ओत प्रकाश रावत के हाथ है। अधिक से अधिक लोगों को मतदान से जोड़ना ओम प्रकाश रावत की प्राथमिकताओं में शुमार है।