कर्मठता को सजा

अमन शर्मा, चिंतपूर्णी

दो-तीन वर्ष पहले तक जब हम अपने दोपहिया वाहन से कांगड़ा जाया करते थे, तो कभी रास्ते में कोई नाका नहीं देखा। जब संजीव गांधी ने कांगड़ा के एसपी के तौर पर कार्यभार संभाला, तो हर रोज देहरा से कांगड़ा की सड़कों पर पुलिस कर्मी नजर आने लगे, जो वाहन चालकों को यातायात नियमों के बारे में जागरूक करते थे। एक कुशल नेतृत्व में हर थाने की पुलिस व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करते हुए विभाग के कर्मियों को थानों से लेकर फील्ड में आए। कांगड़ा में नशे के कारोबार पर लगाम लगाकर रख दी। जब उनका तबादला ऊना के लिए हुआ तो कांगड़ा की जनता ने उनका ट्रांसफर न करने की सरकार से मांग की। ऊना में जब संजीव गांधी एसपी बनकर आए तो ऊना की जनता को पूरा भरोसा था कि वह कांगड़ा की तरह यहां पर बेहतर कार्य करेंगे और हुआ भी ऐसा ही। लेकिन पांच महीनों के बाद ही उनके तबादले ने सबको हैरान करके रख दिया। किसी को समझ में नहीं आया कि उनके अच्छे कामों को लेकर सरकार ने उनका तबादला क्यों किया। कारण कुछ भी रहा हो, लेकिन ऐसे ईमानदार, निडर, कार्यकुशल अफसर बहुत कम देखने को मिलते हैं। सरकार को इस ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग करना चाहिए, ताकि प्रदेश विकृतियों से मुक्त रहे।