किसान हित को बनेंगी योजनाएं

कृषि विश्वविद्यालय के वीसी बोले, शोध-प्रसार में कड़ा परिश्रम करें कर्मी

पालमपुर – इस वर्ष कृषि विश्वविद्यालय की सभी योजनाओं का केंद्र बिंदु हिमाचल प्रदेश के किसान होंगे। विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों तथा संबंधित वर्ग को अकादमिक, शोध व प्रसार क्षेत्रों में और अधिक बेहतरी लाने के लिए कड़ा परिश्रम करना होगा। ये शब्द प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने कहे। उन्होंने सभी शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों से आह्वान किया कि वे ‘कार्य का सम्मान’, ‘कड़ी मेहनत’ व ‘उत्कृष्ट कार्यशैली की संस्कृति’ का सृजन करें। कुलपति ने कहा कि विद्यार्थियों के अध्ययन व शोध में भी उत्कृष्टता लाने के लिए हर प्रकार की सुविधाएं उन्हें प्रदान की जाएंगी। विश्वविद्यालय रैगिंग व तंबाकू मुक्त परिसर का गौरवमयी इतिहास स्थापित करने में लगातार सफल रहा है। कर्मचारियों की कड़ी मेहनत के कारण विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार गत वर्ष 193 विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की तथा 36 विद्यार्थी देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च शिक्षा हेतु प्रवेश प्राप्त करने में सफल हुए। 150 विद्यार्थियों ने रोजगार प्राप्त किया, जिनमें से 96 विद्यार्थी कृषि विकास अधिकारी व पशु चिकित्सा  अधिकारी चयनित हुए। बीवीएससी व एएच तथा बीएससी (आनर्स) कृषि की 150 सीटों के लिए सर्वाधिक इस वर्ष 13600 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जो संख्या इन दोनों संकायों की लोकप्रियता दर्शाती है। विश्वविद्यालय ने गत वर्ष एक कुकुक्ट ब्रीड के अतिरिक्त विभिन्न फसलों की 11 किस्में किसानों के लिए जारी कीं और लगभग 1150 क्विंटल बीज उत्पादित किया। शून्य लागत खेती को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए गए, जिन्हें इस वर्ष और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने के लिए 20 मॉडल विकसित किए गए। गत वर्ष विश्वविद्यालय में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के सहयोग से अनेक कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए।