गंगथ को आज भी कहते हैं ‘भांडयां आला शैर’

50 किलोमीटर के दायरे में मात्र यही एक ऐसा शहर था, जिसे स्थानीय बोली में भांडेया आला शैर कहा जाता था। बुजुर्ग आज भी इसे इसी नाम से पुकारते हैं। 200 साल पहले यहां के कारीगरों का काम बहुत ऊंचे स्तर का था…

गंगथ

श्री बाबा क्यालू सिद्धपीठ गंगथ शहर का इतिहास लगभग पांच सौ वर्ष पुराना है। लगभग पांच सौ वर्ष पहले यह शहर छौंछ खड्ड के किनारे पांच किलोमीटर में बसा हुआ था और उस समय से यहां कारीगरों का एक बहुत बड़ा समूह रहता था, जो पंदोड़ गांव तक फैला था। लगभग 200 वर्ष पूर्व यहां अस्त्र-शस्त्र का निर्माण, जेवर रखने वाले लॉकर, कुट्टू और पीतल के बरतन बनाए जाते थे, जो पंजाब व चंबा से होते हुए जम्मू तक भेजे जाते थे। उन दिनों उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की तर्ज पर गंगथ को छोटा मुरादाबाद कहा जाता था।  50 किलोमीटर के दायरे में मात्र यही एक ऐसा शहर था, जिसे स्थानीय बोली में भांडेया आला शैर कहा जाता था। बुजुर्ग आज भी इसे इसी नाम से पुकारते हैं। 200 साल पहले यहां के कारीगरों का काम बहुत ऊंचे स्तर का था। उस वक्त यह एक मुस्लिम समुदाय बहुल क्षेत्र था। उन दिनों हिंदू आबादी नाममात्र की थी। जो हिंदू कारोबार करते भी थे, उनके पास मुस्लिम ही मुख्य कारगर होते थे। आज भी सुनने में आता है कि पुरानी आबादी की जगह अब नए निर्माण के लिए खुदाई की जाती है, तो काफी सोना चांदी निकलता है। इन चर्चाओं से आभास होता है कि उन दिनों ये लोग काफी संभ्रांत थे। कांगड़ी धाम के लिए वर्षों पहले  पीतल की बल्टोहियों का अपना महत्त्व था। 100 वर्ष पहले तक जिस घर में जितनी ज्यादा बल्टोहियां होती थीं, उसे उतना ही अमीर व खानदानी आदमी समझा जाता था। बल्टोहियों के काम में मुनाफा ज्यादा था।

इमर्सन गृह

भिन्न रूप से दिखने वाला इमर्सन हाउस भवन स्लेट की छतों से युक्त, शीशे के लगे मोड़दार लकड़ी के बरामदे और ऊंचे कमरे मंडी नगर को एक स्पष्ट आभा प्रदान करते हैं, जो अन्यथा नगर भर में कंकरीट के जंगलों के कारण खोती जा रही है। मंदिरों के नगर के दिल में बने हुए 97 वर्ष पुराने इमर्सन हाऊस भवन को जीवन का एक नया पट्टा प्रदान किया गया है, क्योंकि इसे शिमला गेयटी थियेटर की तर्ज पर स्लेट की छतों की पहाड़ी शैली को पुनर्जीवित किया गया है। इस उद्देश्य के लिए लोक निर्माण विभाग ने 2012 ई. में इसके लिए 34 लाख रुपए दिए थे। यह भवन कुछ सरकारी विभागों और एक रेस्टोरेंट  के अधीन था। कला, संस्कृति और भाषा विभाग ने एक कमेटी का गठन किया और इसको सुरक्षित रखने के कार्य की संस्तुति की।

डुंगकर

डुंगकर स्पीति की भूतपूर्व राजधानी स्पीति नदी के बाएं किनारे पर समुद्रतल से 13,700 फुट की ऊंचाई पर स्थित एक बड़ा गांव हैं। यह स्थल काजा नदी के निचली ओर 15 किलोमीटर की दूरी पर है।