बदलियों का एजेंडा

सुरेश कुमार, योल

सोचा था सरकार बदल रही है, अब कुछ बदलेगा। पर यह क्या, सरकार तो कुछ और ही बदल रही है। कभी आईएएस, तो कभी आईपीएस की बदलियां और कभी दूसरे अधिकारियों के तबादले। हर सरकार ऐसी ही होती है, कुछ नया नहीं होता। राजनीति ढर्रे पर ही चलती है। वैसे प्रदेश के पास बजट ही नहीं है, तो सरकार करेगी भी क्या। बिना बजट के खाली बैठने से अच्छा  है बदलियां ही करो, ताकि लगे कि सरकार कुछ तो कर रही है।  जीएसटी में 10 लाख की रेंज बढ़ाने पर केंद्र ने बात ही नहीं की और मुख्यमंत्री दिल्ली से खाली हाथ ही लौटे। हम तो सोचते थे केंद्र और प्रदेश की सरकारों में 36 का आंकड़ा खत्म हुआ, पर इस तरह मुख्यमंत्री का खाली हाथ लौटना हमारे अनुमान को गलत सिद्ध करता है। समय चलता रहेगा, बदलियां होती रहेंगी, मुख्यमंत्री दिल्ली आते-जाते रहेंगे और फिर ऐसे ही अगले चुनाव आ जाएंगे। 2022 में फिर मोदी जी आएंगे और हिमाचल को अपना घर बताएंगे और कहेंगे मैं यहां की पगडंडियों पर घूमा हूं। प्रदेश की जनता भावुक हो जाएगी और फिर वोट के बदले जनता सपने खरीद लेगी। यह राजनीति है, यहां वोट के बदले सपने बिकते हैं, विकास नहीं होता।