बिलासपुर एम्स को 1351 करोड़ मंजूर

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी सौगात, प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल के निर्माण का रास्ता साफ

बिलासपुर— बिलासपुर के कोठीपुरा में प्रस्तावित उत्तर भारत के पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान स्वास्थ्य संस्थान (एम्स) के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। बुधवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल की मीटिंग में हिमाचल प्रदेश के लिए मिली इस सौगात को 1351 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई। मंजूरी मिलने के बाद अब बजट अप्रूवल आएगी। अभी तय औपचारिकताएं पूरी करने के लिए प्रोसेस जारी है। खास बात यह है कि यह स्वास्थ्य संस्थान प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत बनेगा। शुरुआती कार्य करने वाली हास्पिटल सर्विसेज कंसल्टेंसी कारपोरेशन (एचएससीसी) के डिजाइन के हिसाब से पूरे एरिया को शैक्षणिक, स्वास्थ्य देखभाल और आवासीय क्षेत्र में कवर किया जाएगा। निर्माण क्षेत्र को तीन अलग क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। एचएससीसी ने टोपोग्राफिकल सर्वे के बाद जरूरी प्लान तैयार कर मुख्य कार्यालय को प्रेषित कर दिया है। पता चला है कि अब पूरे एरिया को कवर करने के लिए बाउंडरी वाल लगाई जाएगी, जिसके लिए टेंडर भी हो चुके हैं। जल्द ही यह कार्य शुरू होगा। यहां बता दें कि हिमाचल में एम्स अपनी तरह का पहला सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान होगा, जिसके निर्माण कार्य के लिए इंटरनेशनल बिडिंग की जाएगी। एम्स निर्माण कार्य के लिए 205 एकड़ जमीन चयनित की गई है, जिसके तहत राजस्व और पशुपालन विभागों की जमीन स्वास्थ्य विभाग के नाम स्थानांतरित हो चुकी है, जबकि लगभग 50 एकड़ वन विभाग की जमीन की एनओसी के लिए प्रक्रिया जारी है। सभी तय औपचारिकताएं पूरी होने के बाद निर्माण कार्य की कवायद शुरू की जाएगी। इस कार्य को पूरा करने के लिए 48 हफ्ते की समय सीमा तय की गई है। जैसे-जैसे आधारभूत ढांचा बनता जाएगा, वैसे-वैसे चिकित्सा सुविधाएं आरंभ की जाती रहेंगी। एम्स में 750 बेड क्षमता होगी, जिसके तहत 300 बेड सुपर स्पेशियलिटी, 320 बेड जनरल स्पेशियलिटी, 30 बेड आयुष, 15 आपरेशन थियेटर, 50 बेड आईसीयू, 50 बेड एमर्जेंसी ट्रॉमा में उपलब्ध होंगे। इसके साथ ही एम्स डिपार्टमेंट ऑफ  एनॉटोमी, बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी, पैथालॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी, फोरेंसिक मेडिसिन और कम्युनिटी मेडिसिन इत्यादि होंगे, जबकि लाइब्रेरी, कान्फें्रेस हाल, एनिमल होल्डिंग एरिया (पशुघर) रिसर्च, कॉमन लैबोरेटरी, एग्जामिनेशन हाल, एडमिनिस्ट्रेशन और कैफेटेरिया इत्यादि से सुसज्जित होगा। यही नहीं, एम्स में हीलिंग गार्डन (उपचार बगीचा), 60 छात्राओं का नर्सिंग कालेज, 100 छात्रों का आयुर्विज्ञान महाविद्यालय, 750 लोगों के एक साथ बैठने की क्षमता वाला सभागार व 160 लोगों की क्षमता वाली धर्मशाला का निर्माण किया जाएगा। गौर हो कि देश में भुवनेश्वर, भोपाल, रायपुर, जोधपुर, ऋषिकेश और पटना में एम्स स्थापित हो चुके हैं, जबकि रायबरेली में एम्स का निर्माण कार्य जारी है। तीन एम्स महाराष्ट्र के नागपुर, वेस्ट बंगाल के कल्याणी और आंध्र प्रदेश के मंगलागिरी में 2015 में स्वीकृत किए गए हैं, जबकि 2016 में बठिंडा और गोरखपुर के अलावा असम के कामरूप में एम्स को स्वीकृति मिली है। ऐसे में उत्तर भारत में बनने वाला यह पहला एम्स होगा।

परिसर में प्रवेश को अलग-अलग रास्ते

एम्स परिसर में प्रवेश के लिए शिमला-बिलासपुर स्टेट हाई-वे से दो रास्ते बनाए जाएंगे। एक रास्ता नवोदय स्कूल के पास से होकर गुजरेगा तो दूसरा इससे आगे से निकाला जाएगा। एम्स से शिमला की दूरी 78 किलोमीटर और चंडीगढ़ से 123 किलोमीटर रह जाएगी। चंगर पलासनी के साथ ही नोआ और राजपुरा से भी एम्स परिसर में प्रवेश के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए जाने की प्लानिंग है।

आवासीय क्षेत्र में होंगी ये सुविधाएं

कोठीपुरा में बनने वाले देश के आठवें एम्स के आवासीय क्षेत्र में छह तरह के फ्लैट तैयार किए जाएंगे। इसके तहत टू टाइप के 10 फ्लैट, थ्री टाइप के 18,  फोर टाइप के 21 और फाइव टाइप के 24 फ्लैट बनेंगे। सिक्स टाइप फ्लैट की छह इकाइयां तैयार की जाएंगी। इसके अलावा आवासीय क्षेत्र में स्नातक, स्नातकोत्तर और नर्सेज के लिए 1400 की क्षमता वाले होस्टलों का निर्माण भी किया जाएगा।