महंगी हो सकती है बिजली

घाटा दूर करने को बोर्ड ने नियामक आयोग को सौंपा नया टैरिफ प्लान

शिमला— प्रदेश में इस दफा बिजली के दामों में वृद्धि हो सकती है। पिछली साल विद्युत नियामक आयोग ने दामों में बढ़ोतरी नहीं की थी, परंतु इससे बिजली बोर्ड का नुकसान बढ़ गया है। अपने घाटे को दूर के दृष्टिगत बिजली बोर्ड ने नया टैरिफ प्लान नियामक आयोग को सौंप दिया है, जिस पर जल्द कार्रवाई शुरू होगी। हालांकि नया विद्युत टैरिफ अप्रैल महीने में लागू होगा, लेकिन इसको तय करने के लिए कसरत शुरू हो गई है। बिजली बोर्ड ने नियामक आयोग के सामने जो प्रस्ताव रखा है, उसके मुताबिक उसने 1318.50 करोड़ का घाटा पाटने की मांग उठाई है। बोर्ड को इतना नुकसान हो रहा है, जिसे दूर करने के लिए इस दफा भी बोर्ड ने आयोग से बिजली के दामों में बढ़ोतरी करने की मांग की है। यह आयोग पर निर्भर करता है कि वह दाम बढ़ाए या नहीं। जानकारी के अनुसार विद्युत नियामक आयोग ने 24 फरवरी तक बिजली बोर्ड के प्रस्ताव को लेकर आम जनता से उनकी आपत्तियां व सुझाव मांगे हैं। लोग बिजली बोर्ड के प्रस्तावित टैरिफ प्लान को देख सकते हैं, जिस पर अध्ययन कर लोग अपने सुझाव व आपत्तियां आयोग के समक्ष रख सकते हैं।  नियामक आयोग जनता की आपत्तियों पर चर्चा करने के बाद ही नए टैरिफ पर फैसला लेगा। बताया जाता है कि इस संबंध में पांच मार्च को आयोग ने शिमला में जन सुनवाई भी रखी है, जहां पर लोग अपने विचार रख सकते हैं। इसमें घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के साथ उद्योगपति व कामर्शियल बिजली इस्तेमाल करने वाले भी अपनी बात रख सकते हैं। इन सभी का आकलन करने के बाद आयोग नए टैरिफ पर अपना फैसला लेगा, जो कि अप्रैल महीने से प्रदेश में लागू होगा।

दी जा रही सबसिडी

पिछले साल आयोग ने न तो घरेलू बिजली के दाम बढ़ाए और न ही कामर्शियल। केवल उद्योगपतियों के लिए बिजली के दामों में कुछ बढ़ोतरी की गई थी। माना जा रहा है कि इस दफा घरेलू बिजली के दाम भी प्रदेश में बढ़ेंगे, जिस पर राज्य सरकार को ही राहत देनी होगी। राज्य सरकार यहां घरेलू बिजली पर सबसिडी प्रदान करती है, जिसके अगले वित्त वर्ष में बढ़ाना पड़ सकता है।

माली हालत सही नहीं

नियामक आयोग ने टैरिफ को लेकर काम शुरू कर दिया है और जल्द ही इसका खाका तैयार कर यहां लागू कर दिया जाएगा। देखना होगा कि इस दफा उपभोक्ताओं को बिजली का झटका लगता है या फिर नहीं। वैसे बिजली बोर्ड की खुद की माली हालत ठीक नहीं है, जिसका हवाला देकर उसने दामों को बढ़ाने की मांग उठाई है।