मौसम की मनमर्जी

पूजा, मटौर, कांगड़ा

देश और प्रदेश में कुछ ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिनके बारे में हमारे बुजुर्ग कहते हैं कि क्या करना भाई, कलियुग है। लेकिन आजकल जो प्राकृतिक बदलाव आ रहे हैं, उनको भी कलियुग का प्रभाव माना जाएगा? मौसम भी अब अपनी मर्जी का मालिक है। किसानों की हालत ऐसी कि शाम-सवेरे निगाहें बारिश की आस में आसमान की तरफ ताकती रहती हैं। पहाड़ों से चांदीनुमा बर्फ और खेतों में हरियाली गायब। जब बारिश के अनुमान अखबारों में छपते हैं, तो बागबानों के चेहरे की रौनक लौट आती है, लेकिन बारिश तो ठहरी अपनी मर्जी की मालिक!