राजकुमारी पराग के नाम पर पड़ा परागपुर

मुगलकाल के दौरान अत्याचारों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली राजकुमारी पराग के नाम पर इस गांव का नामकरण हुआ। इस गांव के जस्टिस सर जयलाल ऐसे दूसरे भारतीय थे, जो ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल में पंजाब उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। इसी गांव के जस्टिस सर शादी लाल पहले भारतीय न्यायधीश थे…

परागपुर

मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश काल का गुलामी भरा जीवन भी परागपुर गांव के लोगों को अपनी और परंपराओं से विमुख नहीं कर पाया। आधुनिकता की अंधी दौड़ में यहां लोग इनकी सुरक्षा में जुटे रहे। पचास -सौ साल नहीं तीन शताब्दियों से यह गांव गौरवमयी सांस्कृतिक विरासत और परंपराओें को अपने में संजाए है। इसी का प्रतिफल है कि परागपुर को देश का पहला धरोहर गांव

होने का गौरव हासिल हुआ। गाववासियों की कोशिश से अब यह भारत का पहला धरोहर गांव  कहलाता है। मुगलकाल के दौरान अत्याचारों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली राजकुमारी पराग के नाम पर इस गांव का नामकरण हुआ। इस गांव के जस्टिस सर जयलाल ऐसे दूसरे भारतीय थे, जो ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल में पंजाब उच्च न्यायालय के न्यायधीश बने। इसी गांव के जस्टिस सर शादी लाल पहले भारतीय न्यायाधीश थे, जो ब्रिटिश सरकार की प्रिवी कौंसिल के सदस्य थे। सन 1918 में परागपुर गांव में जस्टिस सर जयलाल ने एक भवन की निर्माण जजेज कोर्ट के नाम से करवाया।

पिन घाटी

पिन घाटी का निर्माण पिन नदी द्वारा हुआ है, जिसका उद्गम पिन पर्वती दर्रे की पूर्वी ढलानों से होता है और यह लिंगती गांव के ठीक सामने स्पीति नदी से मिलती है। पिन घाटी से कोई व्यक्ति पिन पार्वती शिखर से कुल्लू घाटी पार कर  सकता है और शकरौंफ दर्रे या त्रिखांगो दर्रे से किन्नौर जा सकते हैं। पिन घाटी मुख्य स्पिति घाटी की अपेक्षा अधिक रूक्ष और बंजर है। यह घाटी जंगली बकरे और बर्फानी चीते के लिए प्रसिद्ध है । सारे गांव के सहित संपूर्ण पिन घाटी एक सुरक्षित क्षेत्र बनाती है जो समुद्र तल से 3600 मीटर से 6632 मीटर तक ऊंचा है। पिन घाटी गर्मियों के महीनों में शेष ऊपरी स्पिति के बिलकुल विपरीत नमीदार होने का गर्व कर सकती है।

पूह

पूह किन्नौर जिला में है। स्थानीय भाषा में इसे स्पुआ कहा जाता है, जो तहसील का मुचयालय है, यह राष्ट्रीय उच्च मार्ग 22 पर स्थित है। यह स्थान अंगूर के बागीचों, खुमानी व बादाम के लिए प्रसिद्ध है। यहां का स्थानीय देवता दाबला हैख् जिसका न कोई ठिकाना है और न ही कोई तिजोरी। इसका एकमात्र पर्दापण एक छोटे पोल के ऊपरी भाग में एक बुत है, जिसे याक के बालों और रंगीन कपड़ों के लंबे टुकड़ों से सजाया गया है।