कांगड़ा के सौ स्कूलों में पांच बच्चे  भी नहीं

26 प्राथमिक विद्यालय किए हैं बंद, दूसरी सूची शिमला भेजी, एजुकेशन सिस्टम पर बड़ा सवाल

धर्मशाला— प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा के एक सौ से अधिक सरकारी प्राइमरी स्कूलों की पांच कक्षाओं को मिलाकर भी मात्र पांच बच्चे तक नहीं है। इतना ही नहीं, शिक्षा विभाग कांगड़ा द्वारा तैयार की गई ताजा सूची के आंकड़े प्रदेश की सरकार और शिक्षा विभाग के एजुकेशन सिस्टम पर बड़े सवाल उठा रहे हैं। 100 से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जहां पर जीरो से पांच बच्चे हैं। उक्त स्कूलों में कई ऐसे स्कूल भी हैं, जिनमें एक भी बच्चा नहीं है, जबकि कुछेक में दो, तीन और चार छात्र हैं। जीरो से पांच संख्या वाले 26 प्राइमरी स्कूलों को शिक्षा विभाग द्वारा बंद कर दिया गया है, जबकि दूसरी सूची में शामिल एक सौ स्कूलों को बंद करने का प्रोपोजल प्रारंभिक निदेशालय शिमला और प्रदेश सरकार को भेज दिया गया है। प्रदेश में अति खस्ताहाल शिक्षा व्यवस्था का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई स्कूल बिना शिक्षक, तो कई स्कूल बिना छात्रों के भी ही चल रहे हैं। बिना प्लानिंग और जरूरत के ही प्राइमरी स्कूलों को खोला जा रहा है। प्रदेश भर में सरकारी स्कूलों में गिरते शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। स्कूलों में ही मुफ्त एजुकेशन, किताबें, वर्दी, मिड-डे मील दोपहर का भोजन भी प्रदान किया जा रहा है। बाबजूद इसके सरकारी स्कूलों में बच्चों के गिरते नामांकन संख्या को बढ़ाने के लिए जमीनी स्तर पर कोई प्रयास नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में गिरते नामांकन संख्या को लेकर प्रदेश की सरकारों द्वारा शिक्षकों को दोष दिए जा रहे हैं, जबकि जवाब में शिक्षक सरकारों को दोष देकर गैर-शिक्षक कार्य सौंपने पर भी बड़े सवाल उठा रहे हैं।

सरकार को दिए सुझाव पर भी विचार नहीं

बुद्धिजीवियों, शिक्षा विभाग के अधिकारियों और अपने स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले अधिक छात्र पहुंचाने वाले शिक्षकों ने सरकार को कई सुझाव भी दिए हैं, लेकिन प्रदेश में मात्र राजनीतिक प्रयोग करने के लिए ही बिना सोचे समझे स्कूलों की संख्या बढ़ाने का काम किया जा रहा है। उक्त लोगों ने सरकार से सरकारी स्कूलों का संट्रेथन कर अध्यापकों की उपलब्धता और वाहन सुविधा उपलब्ध करवाने की बात कही है।