क्या हैं यमराज के बताए मृत्यु रहस्य

सृष्टि के जिस नियम के विषय में हम बात कर रहे हैं, वह है जीवन और मृत्यु का नियम। जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु और मृत्यु के बाद आत्मा का दूसरे शरीर में प्रवेश करना निश्चित है। जो लोग ऐसी चीजों के बारे में जानना चाहते हैं, उनके लिए हम कुछ रहस्य बता रहे हैं….

मनुष्य चाहे अमरता प्राप्त करने के लिए कितनी ही कोशिश क्यों न करता रहे, कितने ही जोड़-तोड़ क्यों न लगा ले, लेकिन सृष्टि के नियम के विरुद्ध वह किसी भी रूप में नहीं जा सकता। सृष्टि के जिस नियम के विषय में हम बात कर रहे हैं, वह है जीवन और मृत्यु का नियम। जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु और मृत्यु के बाद आत्मा का दूसरे शरीर में प्रवेश करना निश्चित है। लोग मृत्यु के बारे में सब कुछ जानने के लिए जिज्ञासु हो जाते हैं। जो लोग ऐसी चीजों के बारे में जानना चाहते हैं, उनके लिए हम मृत्यु के देवता यमराज द्वारा मृत्यु के बारे में बताए गए कुछ छिपे रहस्यों को उजागर कर रहे हैं। प्राचीन धर्मग्रंथों के अनुसार मृत्यु और आत्मा के रहस्यों के बारे में यमराज और नचिकेता नामक बालक के बीच चर्चा हुई थी। यहां पर कुछ रहस्यों को उजागर किया जा रहा है जिन्हें मृत्यु के देवता यमराज द्वारा नचिकेता को बताया गया था।

नचिकेता के वरदान

कठोपनिषद में यमराज और बालक नचिकेता की मुलाकात से जुड़ी एक कथा मिलती है। इसके अनुसार क्रोधित पिता ने जब नचिकेता को मृत्यु यानि यमराज को दान में दिया, तब अपने पिता की बात का मान रखने के लिए बालक नचिकेता, यमराज की खोज में निकल पड़ा। यमराज की खोज करते-करते वह यमपुरी में पहुंच गया। वह 3 दिन तक भूखा-प्यासा वहीं, यमपुरी के द्वार के बाहर ही खड़ा रहा। नचिकेता की आस्था देखकर यमराज स्वयं उसके पास आए और उसे तीन वरदान मांगने के लिए कहा। वरदान स्वरूप नचिकेता ने सबसे पहले अपने पिता का स्नेह, दूसरा स्वर्ग अग्नि विद्या का ज्ञान और तीसरा मृत्यु से जुड़े रहस्यों की जानकारी मांगी। पिता का स्नेह भी यमराज ने वरदान में दे दिया और स्वर्ग अग्नि विद्या, जिसके द्वारा स्वर्ग प्राप्त किया जा सकता है, का स्वरूप, कुंडादि बनाने की प्रक्रिया-विधि भी नचिकेता को समझा दी। यमराज ने यह भी कहा कि आज से इस विद्या को नचिकेता के नाम यानि नचिकेताग्नि के नाम से जाना जाएगा। सर्वप्रथम तो यमराज ने बालक नचिकेता की तीसरी मांग को पूरा कर पाने में असमर्थता जताई, लेकिन अंततः उन्हें नचिकेता के हठ के सामने हार माननी पड़ी। इसके बाद शुरू हुआ मृत्यु के रहस्य से पर्दा उठाने का सिलसिला। यमराज ने नचिकेता को बताया कि ओउम (ओंकार) परमात्मा का स्वरूप है। उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य के हृदय में ब्रह्मा का वास होता है। आत्मा के संबंध में यमराज ने कहा कि आत्मा मनुष्य की मृत्यु के बाद भी नहीं मरती। संक्षेप में, शरीर का आत्मा के विनाश से कोई संबंध नहीं है। आत्मा कभी जन्म नहीं लेती, न मरती है। ब्रह्मरूप को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि मृत्यु के बाद मनुष्य जन्म-मृत्यु के चक्र को पूरा करता है। इसका मतलब यह है कि मनुष्य जन्म-मृत्यु के चक्र अर्थात ब्रह्मरूप से मुक्त हो जाता है। ईश्वरीय शक्ति के बारे में यमराज ने कहा कि जो लोग ईश्वर में आस्था नहीं रखते और नास्तिक होते हैं, वे मृत्यु के बाद भी शांति की तलाश में रहते हैं। उनकी आत्माएं भी शांति की तलाश करती हैं। यमराज द्वारा नचिकेता को बताए गए ये सभी रहस्य, मृत्यु के साथ-साथ जीवन के रहस्य को भी दर्शाते हैं। ईश्वर के प्रति आस्था और मनुष्य शरीर का सम्मान, यही इन रहस्यों का सार है।