नाबार्ड बांटेगा 22389 करोड़

हिमाचल में अगले वित्त वर्ष के लिए ऋण टारगेट तय, जारी किया फोकस पेपर

शिमला— हिमाचल में अगले वित्त वर्ष 2018-19 में प्राथमिक क्षेत्रों में 22389 करोड़ के ऋण का लक्ष्य रखा गया है। नाबार्ड ने अपने स्टेट फोकस पेपर में ऋण का ब्यौरा तैयार किया है। मुख्य सचिव विनित चौधरी ने शिमला में आयोजित नाबार्ड के स्टेट क्रेडिट सेमिनार में स्टेट फोकस पेपर को जारी किया। फोकस पेपर में हिमाचल में प्राथमिक क्षेत्र में बीते साल की तुलना में दस फीसदी अधिक ऋण देने का टारगेट रखा गया है। नाबार्ड द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 हेतु स्टेट क्रेडिट सेमिनार का शिमला के होटल होली-डे होम में किया गया। इस सेमिनार में मुख्य सचिव विनीत चौधरी बतौर मुख्यातिथि थे। इस अवसर पर विनीत चौधरी ने नाबार्ड द्वारा तैयार की गई ‘राज्य स्तरीय क्षेत्र विकास योजनाएं’ नामक की पुस्तिका के साथ वर्ष 2018-19 हेतु स्टेट फोकस पेपर औपचारिक रूप से जारी किया। अबकी बार स्टेट फोकस पेपर का विषय ‘जल संरक्षण-प्रति बूंद अधिक फसल’  रखा गया है। इस मौके पर नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक किशन सिंह ने कहा कि कि वर्ष 2018-19 हेतु नाबार्ड द्वारा तैयार किए गए स्टेट फोकस पेपर में कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न गतिविधियों के अंतर्गत ऋण प्रवाह कि संभाव्यता का आकलन किया गया है। इसमें महत्त्वपूर्ण आधारभूत संरचना की पहचान की गई है और स्थायी विकास हेतु सुचारू ऋण प्रवाह सुगम बनाने हेतु सुझाव दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि नाबार्ड का यह स्टेट फोकस पेपर ऋण और राज्य सरकार द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर आयोजना हेतु एक ब्लू प्रिंट के रूप में काम करेगा। यह पेपर बैंकों द्वारा राज्य हेतु तैयार की जाने वाली वार्षिक ऋण योजना 2018-19 का आधार तैयार करेगा। उन्होंने कहा कि स्टेट फोकस पेपर में वर्ष 2018-19 के लिए प्राथमिकता क्षेत्र हेतु  22389 करोड़ रुपए की ऋण संभाव्यता का आकलन किया गया है, जो पिछले वर्ष की संभाव्यता से 10 फीसदी अधिक है। उन्होंने जानकारी दी कि इसमें कृषि और संबद्ध क्षेत्र हेतु ऋण संभाव्यता 10689 करोड़  रखी गई है, जो कि करीब 48 फीसदी है। वहीं एमएसएमई (कार्यशील पूंजी और निवेश ऋण) और अन्य प्राथमिकता क्षेत्र हेतु ऋण संभाव्यता 11701 करोड़ रुपए रखी गई है। उन्होंने लघु और सीमांत किसानों के लाभ हेतु राज्य में अधिक किसान उत्पादक संगठनों के गठन पर जोर दिया और कहा कि नाबार्ड 4.89 करोड़ की वित्तीय सहायता के साथ राज्य में 54 किसान उत्पादक संगठन पहले ही गठित किए जा चुके हैं। उन्होंने बैंकों द्वारा सहबद्ध गतिविधियों और कृषितर गतिविधियों हेतु अधिक निवेश ऋण उपलब्ध करवाकर किसानों की आय को पूरक करने की महत्ता का भी उल्लेख किया, ताकि वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना किया जा सके। सेमिनार में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, भारतीय रिजर्व बैंक, एसएलबीसी, वाणिज्य बैंक, सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के अधिकारियों और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।