आज पेश होने वाले केंद्रीय आम बजट पर निर्भर करेगा हिमाचल का आर्थिक विकास
देने के लिए टैक्स
छूट सहित अन्य प्रावधानों की मांग उठा चुके हैं। विशेष औद्योगिक पैकेज समाप्त होने के बाद प्रदेश में औद्योगिक इकाइयां बोरिया-बिस्तर समेट रही हैं। उद्योगों को रोकने और नए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश को केंद्र से विशेष पैकेज की दरकार है। सीआईआई हिमाचल चैप्टर, बीबीएन उद्योग संघ ने इस बाबत हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली को सुझावों का एक पत्र भी प्रेषित किया था। उद्यमियों की मांग है कि उन्हें आसान कर्र्ज और कारपोरेट टैक्स में राहत मिल जाए, अभी इनसे सेस और सरचार्ज मिलाकर लगभग 35 फीसदी टैक्स वसूला जा रहा है। वे चाहते हैं कि इसकी दर 25 फीसदी हो जाए और मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स की दर 18.5 से घटाने, आम लोगों के लिए एग्जेंप्शन और टैक्स लिमिट बढ़े।
कर्ज व ब्याज में राहत हो
नालागढ़ उद्योग संघ के अध्यक्ष सुबोध गुप्ता कहते हैं कि एमएसएमई की परिभाषा में संशोधन की अधिसूचना को जल्द जारी करने, आरबीआई की पुनरुद्धार एवं पुनर्वास नीति में एमएसएमई के लिए बिशेष रियायतें, कर्ज की शर्तों व ब्याज दरों में राहत की मांग शामिल है। महिला उद्यमियों को उद्यम शुरू करने के लिए कर्ज, मंजूरी सहित अन्य मसलों पर विशेष रियायतें भी उद्योग जगत की मांग है।
18 फीसदी जीएसटी हो
घरेलू उत्पाद निर्माता उद्योग के जीएम जेएस कंग का मानना है कि फ्रिज, वॉशिंग मशीन और एसी को जीएसटी में 18 प्रतिशत के दायरे में रखा जाना चाहिए।
कम ब्याज पर कर्ज मिले
एचडीएमए के सलाहकार संजय गुलेरिया का कहना है कि फार्मा इंडस्ट्री चाहती है कि एसएमई को कम ब्याज पर लोन दिया जाए और नए निवेश पर मिलने वाली सबसिडी की मियाद व रकम को बढ़ाया जाए।
विशेष पैकेज चाहिए; इंपोर्ट ड्यूटी घटे, कारपोरेट टैक्स में हो रियायत
सीआईआई के पूर्व अध्यक्ष संजय खुराना का कहना है कि आम बजट में विशेष औद्योगिक पैकेज, एमएसएमई के लिए पालिसी, नालागढ़ में प्रस्तावित बल्क ड्रग पार्क के लिए बजट प्रावधान होना चाहिए। काम में इस्तेमाल होने वाली विदेशी मशीनों पर इंपोर्ट ड्यूटी में कमी भी उद्योगपति चाहते हैं। उद्यमियों की यह भी मांग है कि उन्हें आसान कर्र्ज और कारपोरेट टैक्स में राहत मिल जाए।
बढ़ेंगी मुश्किलें
बिजली बोर्ड न घाटे को देखते हुए नियामक आयोग से अगले टैरिफ में औद्योगिक क्षेत्र को बिजली का दाम बढ़ाने की सिफारिश की है। डिमांड चार्जिज भी बढ़ाने की मांग की गई है। इस पर उद्योगपति उखड़ गए हैं। उनकी नाराजगी बढ़ती है और यहां बिजली के दाम बढ़ेंगे तो मुश्किल हो जाएगी।