रुस्तम-2

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने घातक ड्रोन रुस्तम-2 का कर्नाटक के चित्रदुर्गा जिले में सफल परीक्षण किया है। तीनों सेनाओं के लिए डीआरडीओ का बनाया यह मानवरहित विमान मध्यम ऊंचाई में लंबी दूरी तक उड़ान भर सकता है। यह एक बार में लगातार 24 घंटे उड़ान भरने में सक्षम है। हथियारों को ले जाने में सक्षम रुस्तम-2 निगरानी के काम में लाया जाएगा।

डीआरडीओ के अनुसार रुस्तम-2 1500 करोड़ रुपए का यूएवी प्रोजेक्ट है। इसे थल सेना, वायुसेना और नौसेना की जरूरतों को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है। इसको अमरीकी ड्रोन की तर्ज पर निगरानी और जासूसी के काम के लिए बनाया गया है। चित्रदुर्गा के चलाकेरे के एरानॉटिकल टेस्ट रेंज में रुस्तम-2 ने सफल उड़ान भरी है। यह उड़ान इसलिए भी महत्त्व रखती है, क्योंकि शक्तिशाली पावर इंजन के साथ यूजर कनफिगरेशन की यह पहली उड़ान है।

रुस्तम-2 विभिन्न प्रकार के पेलोड ले जा सकता है। इसमें सिंथेटिक अपर्चर राडार, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम और सिचुएशनल अवेयरनैस पेलोड भी शामिल है। इस ड्रोन का वजन 1.8 टन है। इसकी स्पीड 225 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह हथियार ले जाने में सक्षम है। रुस्तम-2 एक बार में लगातार 24 घंटे तक उड़ने की क्षमता रखता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रुस्तम-2 का नाम भारतीय वैज्ञानिक रुस्तम दमानिया के नाम पर रखा गया ह। 80 के दशक में रुस्तम दमानिया ने एविएशन की दुनिया में जो रिसर्च किया, उससे देश को बहुत फायदा हुआ था।