विद्यार्थियों से संवाद

जोगिंद्र ठाकुर, भल्याणी, कुल्लू

देश की युवा पीढ़ी देश का भविष्य है। इस हकीकत को समझते हुए देश में लाखों की संख्या में शिक्षण संस्थान स्थापित किए गए हैं। इन संस्थानों में करोड़ों छात्र-छात्राएं शिक्षा ले रहे हैं। परीक्षा के दिनों में अधिकांश छात्र तनावग्रस्त हो जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से सीधे संवाद कर एक अच्छी परंपरा शुरू की है। इस संवाद के माध्यम से जहां प्रधानमंत्री ने छात्रों में आत्मविश्वास और एकाग्रता को बढ़ाने, तनाव से बचने, समय प्रबंधन, माता-पिता व अध्यापकों का सम्मान तथा उन पर विश्वास करने के मंत्र दिए, वहीं माता-पिता को अपनी इच्छाओं को बच्चों पर न थोपने की भी सलाह दी। हर वर्ष विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। एक अध्ययन के अनुसार विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले लगभग 50 फीसदी छात्र तनावग्रस्त रहते हैं, जो चिंता का विषय है। परीक्षा के दिनों या परिणाम आने की स्थिति में छात्रों द्वारा आत्महत्या के समाचार सुनने को मिलते हैं। सही मार्गदर्शन से ही ऐसी स्थितियों से युवा पीढ़ी को बचाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने सीधे संवाद के द्वारा छात्रों का मार्गदर्शन करने का काम किया है। अभिभावकों को भी इसमें युवा पीढ़ी का सहयोग करना चाहिए। ‘परीक्षा तनाव नहीं, उत्सव का विषय’ दृष्टिकोण निश्चित रूप से आत्मविश्वास बढ़ाने में साबित होगा।