हिमाचल में हर साल 13 भूकंप

सदी में1300 झटके सह चुकी देवभूमि, 1905 में मची थी तबाही

पालमपुर— प्रदेश में बुधवार को भूकंप के झटके महसूस किए हालांकि राहत के तौर पर कहीं से किसी नुकसान का समाचार नहीं मिला। बीते सौ साल में प्रदेश की भूमि भूकंप के 13 सौ झटके सह चुकी है यानी प्रदेश की धरती औसतन सालाना 13 बार हिल रही है। प्रदेश के सात जिला भूकंप की दृष्टि से अतिसंवेदनशील जोन पांच का हिस्सा है। इनमें जिला कांगड़ा, मंडी, चंबा, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना शामिल हैं जबकि प्रदेश का अन्य बड़ा क्षेत्र संवेदनशील जोन चार में रखा गया है। जिला कांगड़ा, चंबा, हमीरपुर और जिला उना के कुछ क्षेत्र भूकंप आने पर भारी नुकसान होने की आशंका भी वैज्ञानिक जताते रहे हैं। प्रदेश में बीते समय के दौरान हुए भूकंपों को लेकर यह बात भी सामने आई है कि दो प्रमुख क्षेत्र अधिकतर प्रभावित हो रहे हैं। इनमें एक क्षेत्र जिला चंबा और जिला कांगड़ा की धौलाधार शृंखला में धर्मशाला के उत्तर में स्थित ह,ै जबकि दूसरा सतलुज के दाए किनारे पर सुंदरनगर वैली के पूर्व का क्षेत्र है। स्टेट काउंसिल ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड एन्वायरनमेंट के आंकड़े बताते हैं कि बीते सौ साल में प्रदेश में रिक्टर स्केल पर तीन से 3.9 तीव्रता के 141, चार से 4.9 तीव्रता के 22, पांच से 5.9 तीव्रता के 43 और 6 से 6.9 तीव्रता के सात भूकंप हो चुके हैं। रिक्टर स्केल पर आठ तीव्रता का एक भूकंप 1905 में जिला कांगड़ा में आया था, जिसने भारी तबाही मचाई थी। वैज्ञानिकों के अनुसार इन बड़े झटकों के अलावा भी पिछले सौ साल में प्रदेशे तीन से कम तीव्रता के करीब 1130 झटके सह चुका है।

छोटे झटके कम करते हैं ….

रिक्टर स्केल पर तीन से कम तीव्रता के भूकंप धरा के तनाव को कम करते हैं और उसका कहीं न कहीं चाहे थोड़ा ही सही असर संभावित बड़े झटकों पर होता है। तीन या उससे कम तीव्रता के झटके हालांकि बड़े भूकंप की संभावना को बिलकुल नगण्य नहीं करते और इनसे यह भी नहीं माना जा सकता कि लगातार आने वाले छोटे भूकंप के बाद बड़ा भूकंप नहीं आएगा लेकिन यह छोटे माने जाने वाले भूकंप कहीं न कहीं बड़े भूकंप की संभावना को कुछ कम जरूर करते हैं।