होली खेले नंदलाल…

इस साल होलिका दहन 1 मार्च और रंग महोत्सव 2 मार्च को है। मथुरा, गोकुल, बरसाना, ब्रज  की होली विश्वभर में लोकप्रिय है। उत्तर प्रदेश में होली का जश्न हफ्ते भर पहले से शुरू हो जाता है…

होली फाल्गुन मास का सबसे खास और हिंदू वर्ष का सबसे अंतिम त्योहार होता है। अंतिम इसलिए क्योंकि फाल्गुन पूर्णिमा हिंदू वर्ष का अंतिम दिन माना जाता है और अगले दिन यानी चैत्र प्रतिपदा से नव वर्ष की शुरुआत हो जाती है। तो इस त्योहार में साल के जाने और नए साल के आने की खुशी तो शामिल होती ही है साथ ही फसलों के साथ भी इसका अहम रिश्ता है क्योंकि गेहूं आदि की फसलें पकने लग जाती हैं। इसलिए तो होलिका में अधपका अनाज प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है और इसी खुशी में नाचना, गाना और एक दूसरे के प्रेम के रंग में रंग जाना होता है। हालांकि होली मनाने की कई कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन मान्यता यह है कि सबसे पहले होली भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी के साथ खेली थी इसलिए ब्रज की होली आज भी दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस साल होलिका दहन 1 मार्च और रंग महोत्सव 2 मार्च को है। मथुरा, गोकुल, बरसाना, ब्रज की होली विश्वभर में लोकप्रिय है। उत्तर प्रदेश में होली का जश्न हफ्ते भर पहले से शुरू हो जाता है। इस जश्न को रंगोत्सव के तौर पर मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश में होली कई तरह से मनाई जाती है। जैसे बरसाना की लड्डू होली और लट्ठमार होली, वृंदावन की फूलों की होली, गोकुल की छड़ीमार होली आदि। देशभर के लोगों को यूपी की होली का इंतजार रहता है। ब्रज में होली की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। बरसाना और नंद गांव की लठमार होली 23-24 फरवरी को खेली जाएगी। गोकुल की छड़ीमार होली 27 फरवरी को मनाई जाएगी। यूपी में होली का त्योहार फूलों और नाच गानों के साथ भी मनाया जाता है। बरसाना और नंद गांव में लट्ठमार होली खेली जाती है, लेकिन गोकुल में भगवान का बाल स्वरूप होने के कारण होली छड़ी से खेली जाती है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ। उनका बचपन गोकुल में बीता। यही कारण है कि यहां की होली पूरे ब्रज से अलग है। भक्ति भाव से भक्त सबसे पहले बाल गोपाल को फूलों से सजी पालकी में बैठाकर नंद भवन से मुरलीधर घाट ले जाते हैं। जहां भगवान बागीचे में भक्तों के साथ होली खेलते हैं। यह परंपरा आज तक चली आ रही है। होली के दिन ब्रज की छटा ही निराली होती है।