आखिरी उम्मीद भी टूटी…

सदमे में परिवार

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इराक के मोसूल में 39 भारतीयों की मौत की पुष्टि के बाद से मृतकों के परिवार की आखिरी उम्मीद भी टूट गई। पिछले चार साल से किसी अच्छी खबर की आस लगाए 39 परिवारों में मंगलवार को विदेश मंत्री के बयान के बाद सन्नाटा पसर गया। खबर सुनते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। इस बीच इराक में मारे एक भारतीय के संबंधी ने बताया कि दो बार डीएनए टेस्ट लिया गया, लेकिन उन्हें उनके भाई की कोई जानकारी नहीं दी गई। मृतक के भाई ने कहा कि हमें जानकारी मिली थी कि हमारे भाई को आतंकियों ने अगवा कर लिया है। उसके बाद हमें उनके बारे में कुछ भी पता नहीं चला। दो बार मेरा डीएनए टेस्ट किया गया, लेकिन कोई सूचना नहीं दी गई। इराक के मोसूल में मारे गए मंजिंदर सिंह के परिजन उनकी मौत की खबर मिलते ही बदहवास हो गए हैं। घर में मातम छाया हुआ है। मंजिंदर की बहन गुरपिंदर कौर ने कहा कि पिछले चार साल से विदेश मंत्रालय हमसे कह रहा था कि वह जिंदा हैं, पता नहीं कि अब किस पर यकीन किया जाए। मैं उनसे बात करने के लिए इंतजार कर रही थी, हमें कोई जानकारी नहीं मिली। अब हमने संसद में उनके बयान को सुना। पति दविंदर सिंह की मौत की पुष्टि पर पत्नी मंजीत कौर ने रोते हुए कहा कि मेरे पति 2011 में इराक गए थे और मेरी उनसे आखिरी बार बात 15 जून, 2014 को हुई थी। हमें हमेशा कहा गया कि वह जिंदा हैं। हमारी सरकार से कोई मांग नहीं है। जालंधर के ही रहने वाले अन्य मृतक सुरजीत कुमार मेनका की पत्नी कहती हैं कि मेरे पति 2013 में इराक गए थे और 2014 में उन्हें अगवा कर लिया गया था। हमारी सरकार से कोई मांग नहीं है। अब मेरा सिर्फ एक छोटा बच्चा है, और कोई नहीं। इराक में मारे गए बिहार के सिवान निवासी विद्या भूषण तिवारी के चाचा पुरुषोत्तम तिवारी ने कहा कि मुझे नहीं पता क्या कहूं। 2014 से मैं सरकार से उसे किसी तरह वापस लाने की सिफारिश कर रहा था और आज वह कहते हैं कि वह अब नहीं रहा।