कामगार कल्याण में जुटी प्रदेश सरकार

हिमाचल में मजदूरों को दिलाई जा रही न्यूनतम दिहाड़ी

शिमला – हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने हिमाचल प्रदेश अनुबंध श्रमिक नियंत्रण एवं उन्मूलन नियम, 1974 तथा हिमाचल प्रदेश न्यूनतम दिहाड़ी नियम, 1978 में संशोधन किया है। इसके तहत औद्योगिक प्रतिष्ठानों तथा जल विद्युत परियोजनाओं में कार्यरत श्रमिकों को सरकार के श्रम अधिकारियों द्वारा सत्यापित पहचान पत्र जारी करना अनिवार्य बनाया गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने न्यूनतम दिहाड़ी अधिनियम 1948 के अंतर्गत वर्ष 1958 से अधिसूचित रोजगारों के लिए न्यूनतम दिहाड़ी में निरंतर वृद्धि की है। आज प्रदेश में अधिसूचित रोजगार के तहत कार्य करने वाले अप्रशिक्षित श्रमिकों की न्यूनतम दिहाड़ी 6300 रुपए प्रतिमाह निर्धारित है। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों तथा जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण में कार्यरत श्रमिकों की न्यूनतम दिहाड़ी में 25 से 45 प्रतिशत तक अधिक निर्धारित की गई है। हिमाचल देश के ऐसे कुछ राज्यों में है, जहां श्रमिकों की दिहाड़ी का भुगतान बैंकों के माध्यम से किया जा रहा है। अनुबंध श्रमिकों को शोषण से बचाने के लिए प्रदेश सरकार के अनुबंध श्रमिक नियंत्रण एवं उन्मूलन अधिनियम, 1970 के प्रावधानों में संशोधन किया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा इस अधिनियम के अंतर्गत श्रम अधिकारियों को पंजीकरण एवं लाइसेंस अधिकारी नियुक्त किया गया है। फैक्टरी अधिनियम 1948, अनुबंध श्रमिक नियंत्रण एवं उन्मूलन अधिनियम, 1970, अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक रोजगार नियंत्रण एवं सेवा शर्तें अधिनियम 1979, मोटर परिवहन श्रमिक अधिनियम 1961 तथा हिमाचल प्रदेश दुकान एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान अधिनियम 1969 के प्रावधानों के अंतर्गत पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग व नवीनीकरण को ऑनलाइन कर पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है।

74 रोजगार कार्यालय कम्प्यूटराइज्ड

प्रदेश सरकार ने राज्य निरीक्षण योजना को भी अंतिम रूप दे दिया है। प्रदेश में रोजगार की तलाश कर रहे युवाओं की सुविधा के लिए सभी 74 रोज़गार कार्यालयों को कम्प्यूटरीकृत किया है। औद्योगिक प्रतिष्ठानों तथा जलविद्युत परियोजनाओं में हिमाचली युवाओं को रोज़गार प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार ने जॉब पोर्टल विकसित किया है।