काश! धोनी 2003 वर्ल्ड कप टीम में होते

पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की आत्मकथा ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’ में खुलासा

नई दिल्ली— भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने अपनी आत्मकथा ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’ में अपने करियर के बारे में कई रोचक खुलासे किए हैं। गांगुली ने इस किताब में भारत को दो वर्ल्ड कप जिताने वाले महान कप्तान रहे एमएस धोनी के बारे में भी अपनी राय व्यक्त की है। संयोग से 2004 में धोनी ने गांगुली की कप्तानी में ही भारत के लिए अपना डेब्यू किया था। गांगुली ने धोनी के करियर के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। धोनी की प्रतिभा को पहचानते हुए गांगुली ने उन्हें नंबर तीन पर बैटिंग कराने का फैसला किया और इसके बाद धोनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। गांगुली ने धोनी के बारे अपनी किताब में लिखा, मैंने हमेशा एक ऐसे खिलाड़ी की तलाश की, जो दवाब में भी स्थिर रहे और जिसमें मैच का रुख बदलने की क्षमता हो। महेंद्र सिंह धोनी, जो मेरी नजरों में 2004 में आए, नेचुलर तरीके से इस सोच पर फिट बैठते थे। मैं पहले दिन से ही धोनी से प्रभावित था। अपनी कप्तानी में 2003 का वर्ल्ड कप फाइनल आस्ट्रेलिया के हाथों गंवाने वाले गांगुली ने कहा, काश! मेरी 2003 की वर्ल्ड कप टीम में धोनी होते। गांगुली ने अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच नवंबर, 2008 में धोनी की ही कप्तानी में आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। मैच के आखिरी पलों में धोनी ने कुछ देर के लिए गांगुली को टीम की कप्तानी सौंप दी थी। गांगुली के संन्यास के बाद धोनी अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को नई ऊंचाइयों पर ले गए और गांगुली द्वारा शुरू किए गए काम को आगे बढ़ाते हुए भारत को दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम बनाया।

अपमान न हो इसलिए हेलमेट पर तिरंगा नहीं लगाते माही

नई दिल्ली— भारतीय खिलाडि़यों को देश के प्रति उनके प्यार के लिए भी जाना जाता है, जिसे खिलाड़ी तरह-तरह से दर्शाते हैं। क्रिकेटर्स की बात करें तो वे अपने हेलमेट पर तिरंगा लगाते हैं। महेंद्र सिंह धोनी भी ऐसा किया करते थे, लेकिन अचानक उन्होंने ऐसा करना बंद कर दिया।  दरअसल विकेटकीपिंग की वजह से धोनी ने हेलमेट पर तिरंगा लगाना छोड़ दिया। विकेटकीपिंग के दौरान धोनी को बीच-बीच में हेलमेट लगाना और उतारकर जमीन पर रखना पड़ता है। ऐसे में अगर हेलमेट पर झंडा होगा तो यह उसके अपमान वाली बात होगी। इसलिए धोनी ने तिरंगा लगाना ही छोड़ दिया।