दलेर पर दिलेर कानून

– सुरेश कुमार, योल

कबूतरबाजी (पैसे लेकर विदेश भेजना) के केस में फंसे दलेर मेहंदी पर 15 साल केस चला और अंत में फैसला आया 2 साल की सजा और हाथोंहाथ जमानत भी। भारत का कानून यही है। यहां न्याय के लिए बड़ा इंतजार करना पड़ता है, अब तो लगता है कि भारत में हर आदमी के लिए अलग कानून है। पहले भी एक बार जब सलमान खान के केस में फैसला आया, तो सजा के ऐलान के बाद  2 घंटे में ही जमानत हो गई। कोई आम आदमी होता तो जमानत के लिए पता नहीं कितने दिन लगते और न जाने कितने पापड़ बेलने पड़ते। न्याय की इसी प्रक्रिया के कारण लोगों का कानून और न्याय से विश्वास उठता जा रहा है। अब तो सुप्रीम कोर्ट के जज भी ये संकेत दे रहे हैं और हड़ताल तक कर चुके हैं कि न्यायप्रणाली किसी दबाव में काम कर रही है। इस तरह किसी गरीब के लिए न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है, जब कानून इन ऊंचे रसूखे वालों ने अपनी जेब में डाल रखा है। न्याय की देवी ने अपनी आंखों पर पट्टी इसलिए बांध रखी है, क्योंकि उसकी नजर में छोटे-बड़े सब बराबर हैं, पर यहां तो छोटा आदमी कोर्ट में जाने से ही डरने लगा है, क्योंकि उसे पता है कि सुनी तो बड़े आदमी की ही जाएगी अर्थात पैसे वालों और रसुख वालों की। सच पूछो तो ज्यादातर लोग न्याय पाने के लिए कोर्ट जाने से भी कतराते हैं, क्योंकि वहां पैसे और समय की बर्बादी के सिवा और कुछ है ही नहीं।