दिल्ली के सुलतान के साथ थे रतन चंद के अच्छे  संबंध

रतन चंद के संबंध दिल्ली के सुल्तान के साथ बहुत अच्छे थे। एक बार जब वह दिल्ली में था तो वह वहां पर सुल्तान के साथ आखेट खेलने गया। जंगल में जब एक शेर सुल्तान पर झपटा तो रतन चंद नेे सुल्तान की ही तलवार लेकर उसके दो टुकड़े कर दिए…

बिलासपुर

राजा अभयसार चंद: इसके समय में दिल्ली के बादशाह मोहम्मद तुगलक का तातार खां नाम का एक सरदार एक बार अपने साथ कुछ सेना लेकर दिल्ली से लाहौर जा रहा था। मार्ग में जब वह कीरतपुर में ठहरा तब उसके पास कुछ कसाई बहुत सी गायें लेकर जा रहे थे।राजा ने यह समाचार पाकर अपनी सेना भेजी और कसाइयांे के हाथों से सब गायों को छुड़ा लिया। यह सुनकर तातार खां ने राजा की सेना का पीछा किया और कोट-कहलूर को घेर लिया। वह जब किले की मुख्य दीवार को तोड़ने में असमर्थ रहा तो उसने एक हाथी को लाकर दीवार को तोड़ने में लगाया। राजा ने हाथी की सूंड को तलवार से काट दिया और इसी झपट में तातार खां भी मार गया। उसकी सेना भी परास्त होकर भाग खड़ी हुई। जब अपने पिता के मारे जाने का पता तातार खां के पुत्र को लगा तो बदला लेने के लिए कुछ सैनिकों को साथ लेकर आनंदपुर आया। अपनी मित्रता जताकर राजा को मिलने आया। उसे किले में आदर से बुलाया गया। परंपरा के अनुसार बाद में राजा और उसका छोटा पुत्र सुंदर चंद भी तातार खां के शिविर में गए। उन्होंने उनसे शस्त्र एक ओर रखवा दिए और बाद में धोखे से उन्हें मार दिया। तत्पश्चात राजा के दो और पुत्रों ने शाही सेना को हराकर राजा के शरीर को छीन लिया। बाद में शरीर के साथ रानियां सती हो गईं।

राजा संपूर्ण चंद (1380 ई.): इसकी रानी कांगड़ा के राजा की बहन थी। कांगड़ा के राजा ने उसे लिखा कि वह उसके इलाके ठटवाल और महलमोरी को वापस लौटा दे। रानी ने भी दोनों परगनों को छोड़ देने के लिए जोर दिया। अतः राजा ने उन क्षेत्रों को लौटा देना मंजूर कर लिया, लेकिन उसके छोटे भाई रतन चंद ने कहा कि जो देश उनके पूर्वजों ने जीता है वह इस प्रकार छोड़ देना ठीक नहीं है। इस बात पर दोनों भाइयों में लड़ाई हो गई। रतन चंद ने अपने भाई को मार दिया और स्वयं राजा बन गया। हिंदू राजाओं के शासनकाल की यह अपवादित घटना थी, जब राजगद्दी के लिए छोटे भाई ने बड़े भाई की हत्या कर दी हो।

राजा रतन चंद (1400 ई.): रतन चंद बड़े भाई की हत्या के कारण कांगड़ा का राजा बहुत नाराज हो गया। उसने अपने बहनोई के मारे जाने का बदला चुकाने के उद्देश्य से कहलूर पर चढ़ाई कर दी। उन्हीं दिनों सुकेत के राजा ने भी कहलूर पर आक्रमण कर दिया, लेकिन रतन चंद ने बड़ी वीरता से मुकाबला करके दोनों आक्रमणकारियों को मार भगाया।

रतन चंद के संबंध दिल्ली के सुल्तान के साथ बहुत अच्छे थे। एक बार जब वह दिल्ली में था तो वह वहां पर सुल्तान के साथ आखेट खेलने गया। जंगल में जब एक शेर सुल्तान पर झपटा तो रतन चंद नेे सुल्तान की ही तलवार लेकर उसके दो टुकड़े कर दिए। उसकी इस वीरता से प्रसन्न होकर सुल्तान ने उसे ‘खिल्लत’ के तौर पर सवा लाख रुपए और वही तलवार भेंट की थी।