-डा. राकेश कपूर, देहरादून
नववर्ष की मंगल वेला पर,
नवमंगल जीवन गीत लिखें,
बीते पतझड़ के पत्तों को,
शुभ्र हिम ने अवतान दिया
मन में चिर संचित पीड़ा का
नव पृष्ठ पलट अवसान किया
हृदय के उज्ज्वल पन्ने पर
नवेद करूं आओ प्रीत लिखें
आज फिर मन में गूंज उठी
हो गई पुनः मनवीणा झंकृत
अंतर्मन गाए सद्भाव रागिनी
है देह पुल्कित भाव तरंगित
कर स्नेह संगीत सुधा रसप
बीते पल स्मृति में बांध
करें पुनः मैत्री आवाहन
समय ने फिर दिया है समय
उठा लेखनी आओ मीत लिखें
करता हूं स्वीकार कि जीवन
था कभी विषम कभी कठिन
पर साथ-साथ चल काटी राहें
न हुए कभी हम दिग्भ्रमित
आसान है अब तो लक्ष्य
चल दो डग आओ जीत लिखें