पूर्वोत्तर में भगवोदय

त्रिपुरा में लेफ्ट को ध्वस्त कर भाजपा पहली बार बनाएगी सरकार, नागालैंड में भी सरकार में रहेगी हिस्सेदारी, मेघालय में सबसे बड़ी पार्र्टी बनकर भी फंसी कांग्रेस

अगरतला— तीन पूर्वोत्तर राज्यों के शनिवार को आए चुनावी नतीजों ने देश के सियासी नक्शे को बदल कर रख दिया है। त्रिपुरा में बीते 25 साल से लगातार सरकार चला रहे लेफ्ट के किले को भाजपा ने ढहा दिया। उसने यहां 35 साल में अपनी सबसे ज्यादा सीटें जीतीं। देश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब भाजपा ने लेफ्ट की मजबूत पकड़ वाले राज्य में उसे सत्ता से बाहर कर दिया। शुरुआती रुझानों में त्रिपुरा में लेफ्ट और भाजपा गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर नजर आई, लेकिन बाद में भाजपा गठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार कर गया। बात अगर मेघालय की हो तो यहां साठ सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों के लिए चुनाव हुए थे और पिछले दस साल से राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस 21 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है, लेकिन वह स्पष्ट बहुमत के जादुई आकड़े से नौ सीट पीछे रह गई। त्रिशंकु विधानसभा की इस स्थिति में उसे छोटे दलों को साथ लाना पड़ेगा, जिसमें उसे सतर्कता भी बरतनी पड़ेगी। पिछले साल गोवा और मणिपुर में भी कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी, पर भारतीय जनता पार्टी ने तेजी दिखाते हुए छोटे दलों को अपने साथ ले लिया और सरकार बना ली और कांग्रेस देखती रह गई। कांग्रेस यदि छोटे दलों को यहां साथ नहीं ले पाई तो उसके हाथ से एक और राज्य खिसक जाएगा। नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) 19 सीटों के साथ दूसरे सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। राज्य में चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकने के बावजूद भाजपा को केवल दो सीटें मिली हैं । इस चुनाव में भाजपा और एनपीपी एक दूसरे के खिलाफ थे, जबकि केंद्र और मणिपुर में दोनों गठबंधन में हैं। यह देखते हुए मेघालय में भी दोनों अब साथ आ सकते हैं। यहां युनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) की झोली में छह सीटें गई हैं तथा चार सीटें पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट को मिली हैं। हिल स्टेट पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) ने दो  सीटें जीती हैं, जबकि एक-एक सीट पर खुन हाईन्यूट्रेप नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट (केएचएनएएम) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सफल रहे हैं।  तीन सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों की झोली में गई हैं। नागालैंड की बात की जाए तो यहां भी नगा पीपल्स फ्रंट (एनपीएफ) और भाजपा बराबरी पर दिख रही हैं। नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पीपल्स पार्टी (एनडीपीपी) और भाजपा का गठबंधन दूसरे नंबर पर है। यहां कांग्रेस का लगभग सफाया हो गया है। भाजपा दोनों ही स्थितियों में फायदे में है, क्योंकि 15 साल वह एनपीएफ के साथ रही है और एनडीपीपी भी एनपीएफ से ही टूटकर बना दल है। ऐसे में किसी भी दल की अगवाई में बनने वाली सरकार में भाजपा की हिस्सेदारी हो सकती है। उधर, पूर्वोत्तर के तीन राज्यों से मिले उत्साहजनक चुनाव नतीजों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता का शुक्रिया अदा किया है। शनिवार को दोपहर बाद प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि मैं मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा की जनता को भाजपा के गुड गवर्नेंस एजेंडे और एक्ट ईस्ट पॉलिसी का समर्थन करने के लिए धन्यवाद देता हूं। त्रिपुरा विजय पर पीएम ने कहा कि यह एक सामान्य चुनावी जीत नहीं है। शून्य से शिखर की इस यात्रा को हमारे संगठन की ताकत और ठोस विकास के एजेंडे ने संभव बनाया। यह क्रूर ताकतों और डर की राजनीति पर लोकतंत्र की जीत है। हम त्रिपुरा को गुड गवर्नेंस देंगे। हम जनता के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। त्रिपुरा में 25 साल बाद लेफ्ट के किले को ध्वस्त करने में कामयाब हुई भाजपा ने इसे 2019 का ट्रेलर बताया है। त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के नतीजों से उत्साहित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में एनडीए को मिली जीत 2019 लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा संकेत है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि अब भाजपा को कर्नाटक में भी बड़ी जीत मिलनी तय है। शाह ने कहा कि इन नतीजों से साफ है कि कांग्रेस को जनता ने पूरी तरह से नकार दिया है और लेफ्ट अब देश के किसी भी हिस्से के लिए राइट नहीं है। 2018 में गुजरात और हिमाचल के बाद त्रिपुरा हमारी हैट्रिक है। यह 2019 लोकसभा चुनाव का ट्रेलर भी है। यह केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों की जीत है। त्रिपुरा की जीत को बड़ी बताते हुए शाह ने कहा कि पांच पीढि़यों से हमारे कार्यकर्ता जिस विजय की राह देख रहे थे, आज वह हासिल हुई है। यहां की जनता ने वामपंथी सरकार को पूरी तरह से खारिज किया है। बंगाल के बाद त्रिपुरा में भी वामपंथी सरकार के खारिज होने से यह साफ है कि लेफ्ट अब देश के किसी हिस्से के लिए राइट नहीं है।