प्रदेश की सेहत खाली कुर्सियों के हवाले

स्वास्थ्य विभाग में 3283 पद खाली; संस्थान खुले, पर चलाने वाला कोई नहीं

शिमला—प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में स्वीकृत 10004 पदों में से 3283 पद खाली पड़े हैं। ऐसे में राज्य की चिकित्सा सुविधा किस तरह की होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। हर व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले, यह जयराम सरकार के सामने बड़ी चुनौती के रूप में है, जिसे लेकर सरकार ने दावे तो किए हैं, लेकिन पद भरने की प्रक्रिया को निरंतर बताकर अपना पल्ला भी सरकार झाड़ती दिख रही है। बड़ी संख्या में खाली पदों को लेकर सरकार आने वाले समय में क्या कदम उठाएगी, यह देखना होगा, परंतु फिलहाल तो स्थिति यह है कि राज्य में  3283 पद खाली पड़े हैं। खाली पदों में सिर्फ डाक्टरों के ही नहीं, बल्कि पैरामेडिकल स्टाफ के पद भी खाली हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो क्षेत्रीय अस्पताल हमीरपुर में ही 30 पद खाली हैं। मेडिसन, गायनी व सर्जरी का विशेषज्ञ भी यहां नहीं है। सौ बिस्तरों वाले नालागढ़ अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट तक नहीं है। रोहड़ू अस्पताल में डाक्टरों के स्वीकृत 30 पदों के मुकाबले सिर्फ नौ ही तैनात हैं। हालांकि भाजपा सरकार ने तीन माह में वॉक इन इंटरव्यू से 262 डाक्टरों के पदों को भरा है। साथ ही बीएएमएस डाक्टरों के पदों को भरने का फैसला भी सरकार ने लिया है। इसके अलावा 52 पद डेंटल सर्जन के भी भरे जा रहे हैं। सरकार का पीपीपी मोड पर डायलासिस सेंटर चलाने का विचार भी है, मगर जिस तरीके से डाक्टरों की कमी का मुद्दा सामने है, उससे साफ है कि स्वास्थ्य संस्थानों को खोलने का सीधा फायदा लोगों को नहीं हो रहा। इसकी वजह डाक्टरों के खाली पद होना है। प्रदेश में स्वास्थ्य संस्थान लगातार खुलते जा रहे हैं। पूर्व सरकार ने बड़ी संख्या में ऐसे संस्थान खोले और घोषणाएं कीं, जबकि यहां स्टाफ की कोई व्यवस्था पहले से नहीं की गई। राजनीतिक पार्टियां लोगों की मांग के साथ-साथ चुनाव के दौरान वोट बटोरने के मकसद से कई मर्तबा स्वास्थ्य संस्थान खोलने की घोषणा करती हैं, लेकिन यह घोषणाएं अब इसलिए भारी पड़ रही है, क्योंकि इन संस्थानों पर ताले लगे हुए हैं। जानकारों का कहना है कि स्वास्थ्य संस्थान तो प्रदेश में लगातार खुल रहे हैं, मगर न तो विभाग में मानव संसाधन विकास की कोई पुख्ता नीति है, और न ही डाक्टरों का काडर स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या के आधार पर बढ़ाया जा रहा है।

स्थिति ठीक नहीं

वर्तमान सरकार डाक्टरों के पद भरने को इंटरव्यू ले रही है और यहां नए मेडिकल कालेज भी खुलने लगे हैं। इनका फायदा आने वाले समय में दिखेगा, परंतु अभी चिकित्सा क्षेत्र की स्थिति ठीक नहीं है।