प्राकृतिक खेती से बढ़ेगी मिट्टी की उम्र

शिमला.— मुख्यमंत्री ने कहा है कि शून्य लागत प्राकृतिक खेती न केवल मिट्टी की उर्वरता एवं मिट्टी की जैविक मात्रा में वृद्धि करती है, बल्कि किसानों की आर्थिकी भी बदलती है। हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य के लिए इस प्रकार की कृषि उपयुक्त है, क्योंकि यहां पर लोगों के पास कम भूमि है तथा किसान ज्यादातर देसी नस्ल के पशुओं का पालन करते हैं। यहां की मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में सभी आवश्यक पोषक तत्व मौजूद हैं, इसलिए यहां रासायनिक खादों के प्रयोग की आवश्यकता नहीं है। सरकार प्रदेश में शून्य लागत प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करना चाहती है, ताकि कृषि की लागत में कमी लाई जा सके, लेकिन शून्य लागत कृषि को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित करना अभी भी एक चुनौती है, क्योकि वर्षों से वह कृषि में रासायनिक खादों का प्रयोग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने 25 करोड़ की लागत की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान नामक एक नई योजना प्रस्तावित की है। योजना के अंतर्गत प्रदेश के किसानों को प्रशिक्षण तथा आवश्यक उपकरण प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने कहा प्रकृति में हमारी सभी आवश्यकताओं को पूरी करने की क्षमता है, लेकिन लालच की कोई सीमा नहीं है। मुख्यमंत्री ने शून्य लागत कृषि, स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ अभियान, गोवंश की सुरक्षा तथा नशा निवारण जैसे जनहित मामलों पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को अपनाने पर बल दिया है। इससे सरकार के वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। कार्यक्रम में डा.राजीव बिंदल, मंत्री सुरेश भारद्वाज, अनिल शर्मा, सरवीण चौधरी, विपिन सिंह परमार, वीरेंद्र कंवर तथा गोविंद ठाकुर सहित मुख्य सचिव विनीत चौधरी, मनीषा नंदा, डा. एचसी शर्मा, प्रो. अशोक सरयाल सहित प्रगतिशील किसान भी इस अवसर पर मौजूद रहे।