बदलता मौसम भी एग्जिमा की वजह

एग्जिमा त्वचा संबंधी रोग है, जिसमें स्किन पर लाल चकत्ते बन जाते हैं। बार-बार खुजली और जलन महसूस होती है। ऐसे में कई बार बैक्टीरियल इन्फेक्शन से ये चकत्ते पक जाते हैं, जिनमें से पानी आने लगता है। यह एलर्जी के अलावा मौसम में बदलाव होने पर भी प्रभावित करती है, जानिए इसके बारे में।

कांटेक्ट एग्जिमा- संक्रमन फैलाने व बढ़ाने वाले कारक त्वचा के संपर्क में आकर इसका कारण बनते हैं। इसमें किसी प्रकार की धातु, ज्वैलरी, डिटर्जेंट पाउडर, साबुन, सौंदर्य प्रसाधनों, परफ्यूम, क्रीम व लोशन, शैम्पू आदि में पाए जाने वाले रसायन त्वचा की एलर्जी की समस्या उत्पन्न कर एग्जिमा को बढ़ाते हैं।

परेशानी- हाथ-पैर, गला या ऐसी जगह जो संक्रमित वस्तु  के  संपर्क में आए।

एंटोपिक एग्जिमा– यह ज्यादातर होने वाले एग्जिमा का प्रकार है। फैमिली हिस्ट्री होने पर यह समस्या होती है।

परेशानी- कोहनी, गाल, गर्दन, पैर का टखना, घुटने का पीछे का भाग या चेहरे पर यह तकलीफ ज्यादा होती है।

डिस्कॉयड एग्जिमा- इसे नुम्मूलर एग्जिमा भी कहते हैं, जो क्रॉनिक डिजीज है। आमतौर पर इसका कोई निश्चित कारण नहीं होता। यह कीड़े के काटने, सूजन या मौसम में बदलाव से ज्यादा होती है।

परेशानी- वयस्कों के पैरों, बाजुओं या छाती पर सिक्के के आकार के चकत्ते पड़ जाते हैं।

सेबोरेहिक एग्जिमा- तनाव, जींस में बदलाव या गड़बड़ी और त्वचा में मौजूद कीटाणुओं की अधिक सक्रियता इसके कारण हैं। बच्चों में यह सिर की त्वचा और कान के पीछे ज्यादा उभरते हैं। इसके अलावा यह बड़ों में चेहरे और छाती के मध्य भाग में होते हैं।

ये हैं मुख्य कारण- आनुवंशिकता इसकी मुख्य वजह है। इसके अलावा कुछ मरीजों में मौसमीय के बदलावों, किसी दवा के दुष्प्रभाव, धूल-मिट्टी से एलर्जी और रोजमर्रा में प्रयोग होने वाले उत्पादों से भी त्वचा पर एलर्जी की समस्या हो सकती है। इस तरह एलर्जिक, आटोइम्यून, इडियोपैथिक( जिसका कोई निश्चित कारणा पता न हो) और संक्रमणों के चलते लाल चकत्ते उभरने लगते हैं।

भ्रम न पालें- ज्यदातर लोग मानते हैं कि जिसे एग्जिमा की समस्या हो, उन्हें तला-भुना व मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए। यह धारणा गलत है। भोजन से इसका कोई संबंध नहीं। यह रोग खुली त्वचा पर उभरता है, जो वातावरण से प्रभावित होता है।

ऐसे पहचानें- त्वचा के प्रभावित हिस्से पर लगातार खुजली, लालिमा व लाल चकत्ते बनना। त्वचा में रूखापन या परतदार होने जैसे लक्षण सामने आते हैं।

इलाज- रोग की अवस्था के आधार पर दवाओं और क्रीम के जरिए इलाज होता है। खुजली में राहत के लिए एंटीसिस्टेमाइन दवाएं खाने के लिए और लाल चकत्तों पर कार्टिकोस्टेराइड क्रीम या आइंटमेंट लगाने को देते हैं।