भवन नियमितीकरण पर सरकार फिर हाई कोर्ट में

शिमला— नियमों का उल्लंघन करके बनाए गए मकानों के नियमितीकरण की प्रक्रिया को रोकने के हाई कोर्ट के आदेशों पर जयराम सरकार ने पर्नुविचार की मांग की है। इस मामले को लेकर सरकार पुनः हाई कोर्ट गई है, जिसने अदालत से मांग की है कि जिन लोगों ने बहुत कम डेविएशन की है उनको राहत दे दी जाए। इसे लेकर नगर नियोजन विभाग ने अपनी पालिसी में भी संशोधन किया है। प्रदेश सरकार ने इससे संबंधित विधेयक के नियमों में संशोधन किया है, जिनको अदालत के फैसले के बाद लागू किया जा सकेगा। इसमें कम डेविएशन करने वालों को सरकार ने राहत के लिए संशोधन किया है, मगर अभी हाई कोर्ट का फैसला कुछ और ही है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में पुर्नविचार याचिका डालकर फैसले पर विचार करने का आग्रह किया है। इस पर नए सिरे से निर्णय होता है, तो हजारों लोगों को राहत मिल जाएगी अन्यथा उनके भवनों को अवैध ही माना जाएगा। प्रदेश में अवैध भवनों का मामला बड़ा मसला रहा है। राज्य में जो भी सरकारें आई हैं, उनके लिए ये गले की फांस है, क्योंकि इसका कोई हल नहीं निकल पा रहा है। इसके लिए कई दफा रिटेंशन पॉलिसियां भी बनाई गईं, परंतु सिरे नहीं चढ़ सकीं। राज्य में साल 1997 से लेकर 2006 तक अवैध भवनों  को नियमित करने के लिए सात बार रिटेंशन पालिसी लाई जा चुकी है। वहीं, बीते साल राज्य में कांग्रेस सरकार ने टीसीपी एक्ट में ही संशोधन कर दिया। यह संशोधन पास भी हो गया था। इसके बाद यह विधेयक राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया, लेकिन यहां पर काफी समय तक पड़ा रहा। इसके बाद सरकार की ओर से राज्यपाल के समक्ष यह मामला उठाया गया। हालांकि बाद में राजभवन से कुछ मुद्दों पर इस पर सरकार से स्पष्टीकरण भी मांगा गया। इसमें खासकर कमजोर भवनों पर स्पष्टीकरण मांगा गया था कि ऐसे भवन जो खतरनाक है, उनके लिए क्या किया जाएगा। सरकार के स्पष्टीकरण के बाद राजभवन से ही इसे मंजूरी मिल पाई थी। इस बीच यह मामला अदालत में चला गया, जहां से पहले इस पर रोक लगाई गई थी और इसे रद्द कर दिया गया। राज्य में अवैध भवनों की तादाद करीब 27 हजार के करीब बताई जा रही है। ये वो भवन हैं, जिनके नक्शे ही पास नहीं है या नक्शे पास होने के बावजूद इनमें डेविएशन की गई है। वहीं, रिटेंशन पालिसी की आड़ में राज्य में भवन मालिकों ने अवैध इमारतें खड़ी कर दी हैं। अब देखना ये है कि हाई कोर्ट प्रदेश सरकार  के सुझाव पर अमल करती है या नहीं। नगर नियोजन के अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण कपूर ने बताया कि एडवोकेट जनरल के माध्यम से सरकार ने पुर्नविचार याचिका डाली है, जिसमें हाई कोर्ट से फैसले पर विचार का आग्रह किया है। हजारों लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने बहुत कम डेविएशन कर रखी है, जिनको सरकार राहत देना चाहती है।