युवाओं से मजाक क्यों?

डा. शिल्पा जैन, सुराणा वारंगल

किसी भी देश की शक्ति होते हैं युवा। उन पर  देश का भविष्य निर्भर करता है, पर दुःख की बात यह है कि उनके ही भविष्य के साथ क्रूर मजाक किया जा रहा है। कर्मचारी चयन आयोग द्वारा की गई धांधली का मुद्दा गहराया है और शर्म की बात यह है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। कर्मचारी आयोग की इस समय हो रही परीक्षाओं में भी प्रश्न-पत्र लीक हुए हैं। पहले भी इसी वजह से आयोग की पराक्षाओं को रद्द करवा कर फिर से करवाना पड़ा था। फिर से परीक्षाएं देने में युवाओं का बहुत समय बरबाद होता है। इस बार भी युवाओं को परीक्षा के रद्द होने का डर सता रहा है। देश में परीक्षा प्रणाली को मजाक बना रखा है। जहां देखो रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का बोलबाला नजर आता है। हमारे ही देश में जहां बच्चों को अपने विषय का नाम भी नहीं पता होता, वे बोर्ड की परीक्षा में टॉप कर लेते हैं। सवाल यह है कि परीक्षा में प्रश्न-पत्र लीक होते कैसे हैं? अगर देखा जाए तो यह एक बहुत गंभीर मुद्दा है। परीक्षा में पास करवाने वाले लोगों का गिरोह फल-फूल रहा है। ये पैसे ले कर परीक्षार्थियों को पास करवाने की गारंटी लेते फिरते हैं। इस समस्या को रोका जा सकता है, मगर जब सरकारी तंत्र ही इस पर लगाम न कसना चाहे तो कोई कुछ नहीं कर सकता। बेरोजगारी के मारे ये युवा अगर गलत राह पकड़ते हैं, तो इसके लिए हमारा ये तंत्र ही जिम्मेदार है। आज का युवा जवाब मांग रहा है कि कब तक उसके भविष्य से खिलवाड़ होता रहेगा?