मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बोले, राज्य सरकार ने जो किया ही नहीं, उसे खामखाह बनाया जा रहा मुद्दा
हार के सदमे से बाहर नहीं निकली कांग्रेस
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद सदमें से उभर नहीं पा रही है। इससे पहले कि वह उभरती पूर्वोत्तर राज्यों में कांग्रेस को मिली करारी हार ने उसकी पीड़ा और बढ़ा दी। अब 2019 का भी इंतजार कर लें।
…तो बैठना भी मुश्किल हो जाएगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता में आते ही वह कह चुके हैं कि बदले की भावना से काम करना उनकी नियती नहीं है। पूर्व कांग्रेस सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में जो कारनामे किए हैं, उन्हें अगर कुरेदने लगे तो अधिकांश सदस्यों का यहां बैठना मुश्किल हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने यहां तक कहा कि सरकार ऐसे में विवश होगी जो सोचा नहीं था वह भी करना पड़ेगा।
सदन में ऐसा भी हुआ…
सीएम से हाथ मिलाने की होड़
मुख्यमंत्री जैसे ही सदन पहुंचे तो उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से हाथ मिलाकर अभिवादन किया। कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री सहित विपक्ष के हर सदस्य के पास मुख्यमंत्री जाकर मिले। खास बात यह रही कि सत्तापक्ष की तरफ से हर विधायक मुख्यमंत्री से हाथ मिलाने की होड़ में था। कइयों ने मुख्यमंत्री के पांव भी छुए। मुख्यमंत्री से पूर्व आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ने भी विपक्षी सदस्यों का अभिवादन किया।
मुक्ति वाहिनी के सदस्य
स्वर्गीय विधायक कैप्टन आत्मा राम के निधन पर शोक जताते हुए यह खुलासा हुआ कि वह मुक्ति वाहिनी के सदस्य थ,े जिसने बांग्लादेश के बंटवारे के समय में अहम भूमिका निभाई थी। तब आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर भी उनके साथ उस वाहिनी में थे। यह सुनकर सभी हतप्रभ रह गए। खुद महेंद्र सिंह ने भी इसका जिक्र किया।
पहचानने में लगेगा समय
सदन में काफी संख्या में नए विधायक पहुंचे हैं, जिनमें भाजपा के अधिक हैं। अभी इन विधायकों को कोई भी यहां पूरी तरह से नहीं पहचान पा रहा, जिसमें समय लगेगा। विधानसभा में कार्यरत कर्मचारी भी नए विधायकों को पहचानने में बार-बार भूल कर रहे हैं, वहीं सदन के भीतर एक-दूसरे की उतनी अधिक पहचान नहीं है।
नए सीसीटीवी कैमरे
परिसर के भीतर सदन में नए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। यहां चार नए सीसीटीवी पूरे सदन पर नजर रखे हुए हैं। हर द्वार पर इनकी पैनी निगाह है, वहीं भीतर बैठे लोगों पर भी इनके माध्यम से निगाह रखी जा रही है।
बज गई मोबाइल की घंटी
सदन में वैसे मोबाइल फोन ना बजे इसके लिए जैमर लगाए गए हैं, लेकिन अभी भी यह पूरी तरह से काम नहीं कर पा रहे। पहले दिन भी जब कार्यवाही चल रही थी तो उस समय एक विधायक के फोन की घंटी बज उठी।
वामपंथ की आवाज
सालों बाद विधानसभा के भीतर वामपंथ की आवाज भी गूंज रही है। विपक्ष ने वाकआउट किया, लेकिन वामपंथी नेता राकेश सिंघा उनके साथ नहीं थे। उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से सदन में बाकायदा पक्ष भी रखा। उन्हें बोलने के लिए अलग से विशेष रूप से समय दिया जा रहा है, क्योंकि वह तीसरी पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके माध्यम से यहां सालों बाद वामपंथ की आवाज गूंजी।