सरकार ने भांपी निवेश की चुनौतियां

सीएम खुद करेंगे मॉनिटरिंग, पट्टा नियम आसान बनाने से मिलेगी राहत

शिमला – हिमाचल में निवेश की चुनौती वर्तमान सरकार ने भांप ली है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस चुनौती को भांपते हुए अपने पहले ही बजट में इसके लिए व्यापक प्रावधान रखे हैं। अब तक निवेश को खींचने के लिए कई तरह के प्रयास हुए, लेकिन धरातल पर उन प्रयासों का परिणाम उस कद्र दिखाई नहीं दिया, परंतु भविष्य में इसके नतीजे देखने को मिल सकते हैं। प्रदेश में होने वाले हर तरह के निवेश की मॉनिटरिंग अब खुद मुख्यमंत्री करने जा रहे हैं। अभी तक विभागाध्यक्षों के पास ही यह जिम्मा रहता था या फिर विभागीय मंत्री इसमें कुछ जानकारी रखते थे, पर अब खुद सीएम ने इसकी कमान अपने पास रखी है तो माना जा सकता है कि निचले स्तर पर गंभीरता से काम होगा। मुख्यमंत्री के बजट में निवेश को खींचने के लिए एक जरूरी बात यह है कि उन्होंने निवेश की मॉनिटरिंग के लिए सीएम कार्यालय में हिम मॉनिटरिंग ऑनलाइन सेवा शुरू करने की बात कही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऐसा किया है, जिसकी तर्ज पर यहां मुख्यमंत्री कार्यालय को उन सभी आवेदनों से जोड़ा जाएगा, जिनसे प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश आ सकता है। साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि तय अवधि में यदि किसी निवेशक को उसकी स्वीकृतियों से संबंधित कागजी कार्रवाई पूरी नहीं की जाती है तो उसे डीम्ड अनुमति दी गई मानी जाएगी।  निवेशक चाहते हैं कि उनको सरकारी भूमि मिले तो लंबी अवधि के लिए मिले, ताकि वे बेहतर तरीके से अपना काम कर सकें। वर्तमान में उनको 30 साल की अहम शर्त चल रही है, जिसे बढ़ाकर 90 साल करने की सरकार की सोच निवेश को बढ़ावा देने के लिए है। निवेश के क्षेत्र में सरकार की यह नई सोच मददगार साबित हो सकती है।