हर जिम्मा ईमानदारी से निभाना धर्म

सीयू में नेशनल सेमिनार में मणिपुर के शिक्षा मंत्री राधेश्याम के बोल

धर्मशाला — प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में गुरुवार को नेशनल सेमिनार का शुभारंभ मणिपुर के शिक्षा मंत्री राधेश्याम ने किया। इसमें देश भर के करीब 15 राज्यों के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। दीनदयाल उपाध्याय दर्शन एवं सामाजिक विचार विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में विभिन्न राज्यों से पहुंचे प्रतिभागी अपने पेपर भी प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्ष केंद्रीय विवि के कुलपति डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने की। इस दौरान वरेली रोहेलखंड विवि के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला ने विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता यूजीसी के सदस्य प्रो. जी गोपाल रेडी रहे। इस दौरान केंद्रीय विवि हिमाचल प्रदेश के प्रो. मनोज सक्सेना की किताब का विमोचन किया गया।  कार्यमक्रम में हिमाचल सहित, पंजाब, दिल्ली, जे एंड के, उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, अंडेमान निकोवार, राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों के शिक्षकों एवं शोधार्थी व अन्य प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मणिपुर के शिक्षा मंत्री राधेश्याम ने कहा कि धर्मशाला का अर्थ है ड्यूटी। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को जिस भी काम का जिम्मा मिला हो, उसे ईमानदारी से निभाना ही सबसे बड़ा धर्म है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय भी इसी बात पर जोर देते थे कि अपने कर्त्तव्य का निर्वहन सही से हो। केंद्रीय विवि के कुलपति डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने कहा कि प्रकृति के सीक्रेट को निकालना ही विज्ञान है। नेचर के करीब जाना और उसे समझ कर उसके समस्त गुणों को आम लोगों तक पहुंचना सबसे बड़ा खोजपरक कार्य है। वरेली रोहेलखंड विवि के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए बहुमत नहीं, लोगों में नियम व सिद्धांतों के प्रति विश्ववास होना चाहिए। बहुमत से राष्ट्र का भाग्य तय नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि बाजारबाद का बोलवाला है, इससे बचने की आवश्यकता है। उपाध्याय कहते थे कि पूंजीवाद व समाजवाद से बचने की आवश्यकता है।