अब ‘रेशम’ की राह पर दौड़ेगा हिमाचल

केंद्र की सिल्क विकास योजना के तहत प्रदेश के 16000 परिवारों को मिलेगा स्वरोजगार

बिलासपुर— भविष्य में पहाड़ी राज्य हिमाचल रेशमकीट पालन में अग्रणी बनेगा। केंद्र द्वारा लांच की गई नई समेकित सिल्क विकास योजना में प्रदेश एक्टिव पार्टनर होगा, जिससे कोकून उत्पादन के साथ-साथ परंपरागत बुनकरों एवं हस्तशिल्प को बढ़ावा मिलेगा। तीन सालाना इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना से प्रदेश के लगभग 16000 परिवार लाभांवित होंगे। रेशम विभाग हिमाचल प्रदेश के उपनिदेशक बलदेव चौहान ने बताया कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 2017-18 से 2019-20 तक तीन वर्षों के लिए केंद्रीय क्षेत्र की समेकित सिल्क उद्योग विकास योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत अनुसंधान एवं विकास, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण और सूचना प्रौद्योगिकी पहल के साथ ही अंडा संरचना, किसान विस्तार केंद्र, बीज, धागे, रेशम उत्पादों के लिए समन्वय व बाजार विकास, रेशम परीक्षण सुविधाओं, खेत आधरित और कच्चे रेशम के कोवे के बाद टेक्नोलॉजी उन्नयन तथा निर्यात ब्रांड का संवर्द्धन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017-18 से 2019-20 के तीन वर्षों में योजना के कार्यान्वयन के लिए 2161.68 करोड़ रुपए के कुल आबंटन को मंजूरी दी गई है। मंत्रालय केंद्रीय रेशम बोर्ड के जरिए योजना को लागू करेगा। इस योजना से रेशम का उत्पादन 2016-17 के दौरान 30348 मीट्रिक टन के स्तर से बढ़कर 2019-20 की समाप्ति तक 38500 मीट्रिक टन होने की उम्मीद है। वर्ष 2020 तक आयात के विकल्प के रूप में प्रतिवर्ष 8500 मीट्रिक टन बाइवोल्टाइन रेशम का उत्पादन होगा। इस योजना से 2020 तक 85 लाख से एक करोड़ लोगों के लिए रोजगार बढ़ाने में मदद मिलेगी। वर्ष 2022 तक भारत में उच्च कोटि के रेशम का उत्पादन 20650 मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगा, जो वर्तमान में 11326 मीट्रिक टन है। इससे आयात घटकर शून्य हो जाएगा। उन्होंने बताया कि केंद्र ने पहली बार उच्च श्रेणी की गुणवत्ता वाले रेशम के उत्पादन में सुधार पर स्पष्ट रूप से ध्यान दिया है। प्रस्ताव रखा गया है कि 2020 तक 4-ग्रेड के रेशम का उत्पादन शहतूत के उत्पादन का वर्तमान 15 प्रतिशत के स्तर से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाए।  इसके अलावा कुक्कुटों के भोजन के लिए रेशम के कीड़ों के उप-उत्पादों (प्यूपा), कॉस्मेटिक में इस्तेमाल के लिए सेरिसिन और बिना बुने वस्त्रों रेशम डेनिम, रेशम निट आदि के विविधिकरण पर वर्धित मूल्य वसूली के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा।

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