आप श्रद्धा दें पितर शक्ति देंगे

-गतांक से आगे…

सामान्य स्थिति में आकर्षण

अपनत्व का प्रभाव मृत्यु के तत्काल बाद ही देखा जाता है। नेपोलियन बोनापार्ट को अपनी मां से गहरा प्यार था। जिस समय उसकी मृत्यु हुई उसकी मां उससे सैकड़ों मील दूर थी। वह फ्रांस में था, मां रोम में। उस दिन मां ने देखा—नेपोलियन सहसा आया है। पैर छूकर कह रहा है कि ‘‘मां! अभी ही तो मुझे झंझटों से फुरसत मिल पाई।’’ थोड़ी देर बाद वह अंतर्ध्यान हो गया। बाद में पता चला कि उसका उसी दिन उसी समय निधन हुआ था। प्रख्यात कवि बायरन ने भी एक ऐसे ही अनुभव का विवरण लिखा है। एक फौजी कप्तान ने रेल यात्रा में रात को सहसा नींद उचटने पर अपने छोटे भाई को पायताने बैठे देखा। वह भाई वेस्टइंडीज में नियुक्त था। कप्तान ने समझा कि कहीं वे स्वप्न तो नहीं देख रहे हैं। उन्होंने अपने जगे होने की आश्वस्ति के लिए हाथ बढ़ाकर भाई को छूना चाहा। उनके हाथ में उसका कोट छू गया तो लगा कि वह कोट पानी से तर है। तभी वह भाई अदृश्य हो गया। बाद में तीसरे दिन खबर मिली कि उसकी उसी समय समुद्र में डूब जाने से मृत्यु हुई थी जब वह वहां दिखा था। परामनोवैज्ञानिकों को अपने अनुसंधानों के दौरान ऐसे अनेक साक्ष्य मिले हैं जिनसे यह पता चलता है कि मृत व्यक्ति सैकड़ों-हजारों मील दूर स्थित अपने आत्मीयों के पास मृत्यु के तत्काल बाद देखा गया। कई बार व्यक्ति नहीं दिखाई देता, उसकी आवाज सुनाई पड़ती है। इंग्लैंड के चार्ल्स मैथ्यूज समुद्री जहाज सेवा में कर्मचारी थे। एक रात वे ड्यूटी पर गए। उससे कुछ घंटे बाद उनकी पत्नी और उनकी पड़ोसिन दोनों को चार्ल्स की आवाज सुनाई पड़ी। पड़ोसिन ने सुना कि चार्ल्स उससे कह रहे हैं कि इसका यानी उनकी पत्नी का ध्यान रखना। पत्नी को लगा कि वे उसे पुकार रहे हैं। हुआ यह था कि उस रात जहाज डूब गया था और उसी के साथ श्री मैथ्यूज भी।

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