कुरूपता साम्यवाद की

अक्षित, आदित्य, तिलक राज गुप्ता, रादौर, हरियाणा

विश्व में अब मुख्य रूप से पांच ही साम्यवादी राष्ट्र रह गए हैं-उत्तर कोरिया, वियतनाम, क्यूबा, चीन और रूस। क्यूबा और वियतनाम में तो उदारवादी और कुछ-कुछ लोकतांत्रिक साम्यवाद है, मगर उत्तर कोरिया, चीन और रूस में साम्यवाद कट्टरता की ओर जा रहा है और ये तीनों कट्टर साम्यवादी देश विश्व शांति के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। उत्तर कोरिया के दुष्ट तानाशाह किम जोंग का अनुसरण करते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने स्वयं को आजीवन राष्ट्रपति बनाए रखने का कानून पास करा लिया है और बिलकुल वैसे ही रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने भी स्वयं को जबरन पुनः राष्ट्रपति निर्वाचित करा लिया है। अफसोस की बात यह रही कि सुधारवादी माने जाने वाले पुतिन ने राष्ट्रपति चुनाव में अपने एक भी विरोधी को चुनाव लड़ने नहीं दिया। विश्व को साम्यवाद की इस आधुनिक कुरूपता का तुरंत संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि इसके पीछे विश्व की शांति और स्थिरता का विनाश छिपा हुआ है।

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