केसीसीबी घोटालों की जांच करेगी सीबीआई

शिमला – सत्ता बदलने के बाद से विवादों में चल रहे कांगड़ा सेंट्रल को-आपरेटिव बैंक में घोटालों का पर्दाफाश करने के लिए हिमाचल सरकार ने सीबीआई जांच करवाने का मन बना लिया है। सहकारिता मंत्री डा. राजीव सहजल ने सोमवार को कहा कि केसीसी बैंक घोटालों की जांच सीबीआई को सौंपी जाए, इसके लिए वह मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह करेंगे।  सदन में नियम 62 के तहत विधायक राकेश पठानिया द्वारा लाई गई चर्चा के जवाब में डा. सहजल ने कहा कि केसीसी बैंक में भर्तियों को लेकर विवाद है। वहीं लोन देने और वसूली नहीं करने के भी कई आरोप शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बैंक का एनपीए 21 फीसदी तक पहुंच चुका है, जोकि नाबार्ड की गाइडलाइन से अधिक है। नाबार्ड के निर्देशों में साफ है कि 10 फीसदी से ऊपर एनपीए वाला बैंक नहीं चल सकता। सहकारिता मंत्री ने कहा कि बैंक का एनपीए 720 करोड़ तक पहुंच चुका है। वर्ष 2012-13 में इसका एनपीए 231.54 करोड़ था, जोकि पिछले पांच वर्षों में 720 करोड़ तक पहुंच गया है। बैंक द्वारा तीन कंपनियों व दो व्यक्तियों को बड़ा लोन नियमों के विपरीत दिया गया है। उन्होंने कहा कि बैंक से जुड़े लोगों को न्याय दिलाने के लिए इसके गड़बड़झालों को उजागर करना बेहद जरूरी है, लिहाजा सरकार धांधलियों की जांच के लिए सीबीआई की मदद लेगी। वह जल्द ही इस मामले में मुख्यमंत्री से आग्रह करेंगे, ताकि सभी मामलों की निष्पक्षता से जांच हो और दोषी लोगों को सजा मिले। इस मामले को सदन में उठाते हुए विधायक राकेश पठानिया का कहना था कि कुछ खास लोगों पर बैंक की मेहरबानी रही है, जिन पर जनता का पैसा लुटा दिया गया है। बैंक आरबीआई की गाइडलाइन को पूरा नहीं कर पा रहा है। बैंक के प्रबंध निदेशक विदेश दौरों पर लाखों का खर्चा कर चुके हैं। उनका आरोप था कि बैंक के निदेशक मंडल के लोगों के रिश्तेदारों की भर्तियां यहां की गई हैं, जबकि मैरिट को दरकिनार कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यहां रोजगार देने में, लोन देने में और लोन वसूली में घोटाले हुए हैं, जिनकी जांच सीबीआई से होनी चाहिए। उन्होंने बैंक के पूरे प्रबंधक मंडल को बर्खास्त करने की भी मांग सरकार से की। उन्होंने कहा कि सरकार तुरंत कोई कदम नहीं उठाती है तो लोग सड़कों पर उतर आएंगे।