निजी स्कूलों को बसें लगाए एचआरटीसी

नूरपुर में स्कूल बस हादसा पूरे प्रदेश के अभिभावकों को न भूलने वाले जख्म दे गया है। इस हादसे में कितने ही मासूमों की जान चली गई। हादसे के बाद परिजन अभी भी सहमे व डरे हुए हैं, लेकिन इसके बाद भी स्कूली बच्चों को ले जाने में लगी स्कूल बसों व अन्य निजी वाहनों की रफ्तार कम होने का नाम नहीं ले रही है। हादसे के बाद पुलिस की सख्ती जारी है और पूरे मंडी जिला में हर रोज चालान काट रही है, लेकिन अभिभावकों की चिंता का हल नहीं निकल रहा है। स्कूली बच्चों को ले जाने वाले वाहनों की रफ्तार, ओवर टेकिंग, ओवरलोडिंग और लापरवाही अभिभावकों की चिंताओं का मुख्य कारण है। ऐसे हालात में अब अभिभावक यही चाहते हैं कि सरकार अभिभावकों की चिंताओं का स्थायी हल निकाले और अगर एचआरटीसी की सेवाएं स्कूलों को दी जाएं, तो वह भी सही रहेगा

कड़े कदम उठाने की जरूरत

अभिभावकों की इस चिंता का स्थायी हल निकाला जाना जरूरी है और इसके लिए कडे़ से कडे़ पग सरकार को उठाने चाहिएं। अगर एचआरटीसी की बसें निजी स्कूलों में बच्चों को लाने और ले जाने के लिए लगाने की योजना सरकार बना रही है, तो यह भी सही रहेगा। ऐसे में अभिभावक कुछ निश्चिंत रहेंगे।

हर साल बढ़ाते जा रहे किराया

हर वर्ष फीस के साथ स्कूल टैक्सी वाले अपना किराया बढ़ा देते हैं और नियम कोई पूरे नहीं करता है। अभिभावकों के पास दूसरा कोई ऑप्शन भी नहीं है। इसलिए सरकार को कुछ कड़ा फैसला लेना ही पडे़गा। एचआरटीसी की सेवाएं भी ली जा सकती हैं। इससे अनुभव का फायदा मिलेगा।

नूरपुर हादसे ने डराया हर कोई

अब तो ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को खुद स्कूल छोड़ व ले जा रहे हैं। नूरपुर हादसे के बाद सब डरे हुए हैं। सुबह के समय तो अभिभावक आसानी से बच्चों को स्कूल छोड़ देते हैं, लेकिन छुट्टी के समय दिक्कत होती है। एचआरटीसी की सेवाएं लेना बेहतर विकल्प हो सकता है।

कड़ा फैसला ले सरकार

मंडी जिला के बडे़ शहरों व कस्बों में तो ज्यादातर निजी स्कूलों ने बसें ली ही नहीं हुई हैं। यहां पर स्कूल बैन और ऑटोरिक्शा स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का साधन हैं, लेकिन इनमें से नियम कोई पूरे नहीं करता है। इसलिए अब सरकार कड़ा फैसला ले।

अनुभव का मिलेगा फायदा

एचआरटीसी की सेवाएं अगर निजी स्कूल लें तो बेहतर रहेगा। बेहतर बसों के साथ ही एचआरटीसी के अनुभव का भी फायदा होगा। सरकार को इस बारे में निर्णय लेना चाहिए, ताकि अभिभावकों बच्चों की सुरक्षा को लेकर निश्ंिचत हो सकें।

विरोध के बाद होती है परेशानी

टैक्सी चालक कभी तेज रफ्तार तो कभी ओवर लोडिंग करते नजर आते है और ऐसे में अगर अभिभावक विरोध करें तो दूसरा ऑप्शन भी वैसा ही मिलता है। इसलिए सरकार को कुछ करना चाहिए। अगर सरकार निगम की बसों की सेवाएं ले तो अभिभावकों की चिंता कुछ हद तक दूर होगी।

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