नैतिकता से समाधान

राजेश कुमार चौहान, जालंधर

देश में बढ़ती यौन, अनैतिक हिंसा के समाधान के लिए सख्त से सख्त कानून बनाने चाहिए। लेकिन कानून लोगों के घर की चारदीवारी के अंदर तो नहीं झांक सकता। देश में अनैतिक हिंसा के ऐसे मामले भी होंगे जो न मीडिया में आए होंगे और न ही उनकी शिकायत थाने में दर्ज होगी। आज अनैतिक हिंसा के मामले ऐसे भी हो सकते हैं, जो घर की चारदीवारी के अंदर ही रह जाते हैं। समाज में झूठी शान और बेइज्जती के डर से उन्हें घर की चारदीवारी के अंदर ही शायद रफा-दफा कर दिया जाता है। इससे दरिंदो के हौसले बुलंद हो जाते हैं। सख्त कानून के साथ-साथ जब तक लोगों में नैतिकता की भावना का प्रचार-प्रसार नहीं होगा, तब तक शायद ऐसी घिनौनी घटनाओं पर रोक लगना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। अंत में यह भी कहना उचित होगा कि अगर बच्चों को बचपन से ही नैतिकता का सबक पढ़ाया जाए, तो हमारे समाज में बढ़ रहे गलत कार्यों पर लगाम लग सकती है। आज के बच्चे कल का भविष्य होते हैं। नैतिकता के रास्ते पर उन्हें चलाना हमारा कर्त्तव्य भी है।

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