गुरु दक्षिणा ही सुखमय जीवन की आधारशिला
आज हर व्यक्ति सुखमय जीवन की चाहत लिए बैठा है। सुखमय जीवन ही प्रत्येक व्यक्ति का मुख्य उद्देश्य है। अब प्रश्न पैदा होता है कि लौकिक सुखमय जीवन की प्राप्ति कैसे हो? सुखमय जीवन के तीन आधारबिंदु हैं : 1. निरोगी काया, 2. सामाजिक सम्मान, 3. आर्थिक संपन्नता। अब प्रश्न पैदा होता है कि इन तीन आधार बिंदुओं की प्राप्ति कैसे हो? गुरु दक्षिणा ही केवल तीन आधार बिंदुओं की प्राप्ति का माध्यम है। गुरु दक्षिणा क्या है? गुरु की चाहत पूर्ति ही गुरु दक्षिणा कहलाती है। परोक्ष रूप में तीन प्रकार के गुरु प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध होते हैं। माता को सर्वप्रथम गुरु माना जाता है। जब बच्चा बाहर से मां के सामने आता है तो सर्वप्रथम नजर उसकी बच्चे के चेहरे पर जाती है। यदि चेहरा खिला हो तो बच्चा स्वस्थ है तो मां की चाहत पूरी हो जाती है। यही मां की गुरु दक्षिणा है। अतः जीवन भर बुरे व्यसनों से दूर रहें। सेहत का पूरा ध्यान रखें। अवश्यमेव आपको निरोगी काया उपलब्ध होगी जिससे आपका जीवन सुखमय होगा।
पिता को दूसरे स्थान पर गुरु माना गया है, जिसने धन अर्जित करके बच्चे का पालन-पोषण किया। उंगली से पकड़कर शिक्षा ग्रहण हेतु विद्यालय पहुंचाया। उच्च शिक्षा दिलाई। बेटा खूब पढ़-लिख कर पिता श्री के सामने आता है तो वह आत्मगौरव अनुभव करता है। स्वावलंबी और आर्थिक रूप से संपन्न है तो पिता श्री फूले नहीं समाते। यही पिता की गुरु दक्षिणा है।
अध्यापक को गुरु पंक्ति में तीसरे स्थान पर माना जाता है। जब अध्यापक से उसका छात्र बड़ा होकर सामने आता है तो उसकी प्रथम नजर छात्र के कंधे पर जाती है। अच्छी उपाधि धारण देख कर गुरु खुश हो जाता है। यही अध्यापक की गुरु दक्षिणा है। सुखमय जीवन की चाहत है तो गुरु दक्षिणा अदा करने का प्रयत्न करें।
-प्रेम चंद माहिल, सेवानिवृत्त प्रवक्ता, लरहाना, हमीरपुर-176045.
कविता
औरत
औरत की यौन इच्छा को
करते हैं प्रभावित
आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक कारक
क्योंकि
सत्ता के केंद्र में बैठा मर्द
औरत की कामुकता को रखना चाहता है
अपने नियंत्रण में
ताकि सत्ता बरकरार रहे उसकी
और वह बनाए रख सके अपना अधिकार
हिंदुस्तानी बिरादरी में
अपनी यौन संतुष्टि को पूरा करने के लिए
यदि कोई औरत तलाशती है साथी
तो समझा जाता है उसे
चरित्रहीन और भोंडा।
-भीम सिंह परदेसी, महादेव, सुंदरनगर (मंडी)-175018.
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