पांगी में निवास करती हैं पंगवाल और भोट जातियां

पांगी घाटी में पंगवाल और भोट दो जातियां निवास करती हैं। पांगी घाटी में मुश्किल से कोई गांव या छोटा गांव है, जहां एक या एक से अधिक मंदिर नहीं है। इस घाटी में दो अति महत्त्वपूर्ण मंदिर हैं, मिंधल वासिनी जो किल्लाड़ से लगभग 15 किलोमीटर है तथा पुरथी जो किल्लाड़ से लगभग 30 किलोमीटर है…

पांवटा साहिब

यह नगर सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह की पवित्र याद में बसाया गया है। यमुना नदी पर स्थित पौंटा साहिब उभरता हुआ रौनकदार औद्योगिक नगर है। यह गुरु गोबिंद सिंह के स्पर्शनीय स्मरणों, हथियारों और गौरवपूर्ण गुरुद्वारा के रूप में जाना जाता है। यह नगर के नाम से ही उनकी उपस्थिति का स्मरण करता है, जिसका उद्भव ‘पौंटा’ अर्थात पैर से लिया गया है,क्योंकि उन्होंने इस स्थान पर पैर रखा था। एक अन्य कहानी के अनुसार उन्होंने नहाती बार पौंटा नाम का एक गहना खो दिया जो उनके पैर में हुआ पहना था। गुरु गोबिंद सिंह ने पांच वर्ष यहां व्यतीत किए।  सिरमौर के शासक मेदनी प्रकाश, जिनके क्षेत्र पर पड़ोसी शासक ने अधिकार कर लिया था, की अपील के उत्तर में गुरु जब मुश्किल से वह 16 वर्ष के थे, अमृतसरर पौंटा साहिब के लिए चल पड़े। गुरु ने दोनों लड़ाई करने वाले शासकों के मध्य सुलह करवाने की व्यवस्था की। उन्होंने ‘दशम ग्रंथ’ लिखते हुए पौंटा साहिब में अपने दिन व्यतीत किए। उन्होंने एक सौ एकड़ से अधिक भूमि पर पौंटा का किला बनवाया। श्रीनगर गढ़वाल के राजा फतेह सिंह के साथ भंगिनी की लड़ाई के बाद गुरु पौंटा साहिब से चले गए। गुरुद्वारा पौंटा साहिब के निकट कुछ महत्त्वपूर्ण स्थान हैं, यमुना जी का ऐतिहासिक मंदिर, मां यमुना बाल पार्क जिसमें देवी यमुना का एक बहुत बड़ा बुत है और पार्क में आगे सांची के अशोक स्तंभ की चौंधियाने वाली अनुकृति।

पांगी घाटी

पीर पंजाब से पार दो समानांतर श्रेणियों के बीच हिमालय की तराई में सुंदर पांगी घाटी है। यहां अभी भी 6402 मीटर से 6705 मीटर ऊंची कुछ कुमारी चोटियां हैं, जो पर्वतारोहियों को चुनौती दे रही हैं। इस घाटी में पंगवाल और भोट दो जातियां निवास करती हैं। पांगी घाटी में मुश्किल से कोई गांव या छोटा गांव है, जहां एक या एक से अधिक मंदिर नहीं है। इस घाटी में दो अति महत्त्वपूर्ण मंदिर हैं, मिंधल वासिनी जो किल्लाड़ से लगभग 15 किलोमीटर है तथा पुरथी जो किल्लाड़ से लगभग 30 किलोमीटर है।

पिन घाटी

पिन घाटी का निर्माण पिन नदी द्वारा हुआ है, जिसका उद्गम पिन पार्वती दर्रे की पूर्वी ढलानों से होता है और यह लिंगती गांव के ठीक सामने स्पीति नदी से मिलती है।

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